1985 KANISHKA BOMBING: जब खालिस्तानियों ने एअर इंडिया की फ्लाइट को बम से उड़ाया, 329 लोगों के उड़े थे चिथड़े

Air India flight 182: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को एयर इंडिया की फ्लाइट 182 ‘कनिष्क’ बम धमाके के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी। इसमें चार दशक पहले 329 लोगों की जान चली गई थी। यह विमानन इतिहास में सबसे घातक आतंकी हमला था। खालिस्तानी आतंकियों ने ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेने के लिए विमान पर हमला किया था। आइए जानते हैं कि आखिर ये आतंकी हमला कैसे हुआ।

23 जून 1985 को एयर इंडिया की फ्लाइट 182 कनाडा से लंदन होते हुए भारत आ रही थी। इसमें 307 पैसेंजर्स और 22 क्रू मेंबर्स सवार थे। यह बोइंग 747 विमान था। करीब 7 बजे कनिष्क विमान के कैप्टन ने आयरलैंड में हवाई क्षेत्र में एंट्री करने के लिए एअर ट्रैफिक कंट्रोलर से इजाजत मांगी। लंदन वहां से करीब 45 मिनट की दूरी पर था। विमान उस समय करीब 31 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था। इसी दौरान कनिष्क विमान में जोरदार धमाका हुआ।

बम धमाका इतना जोरदार था कि विमान के पिछले और अगले हिस्से में दरारें आ गईं और विमान के बीच में एक बड़ा गड्ढा हो गया था। देखते ही देखते उस बड़े से गड्ढे में से लोग और सामान बाहर की तरफ गिरने लगे थे। कुछ ही देर में वह विमान भी समुद्र में समा गया। जब आयरलैंड की रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची तो समुद्र के चारो ओर तेल और बिखरे हुए शव ही नजर आ रहे थे। विमान में 329 लोग सवार थे। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, 141 शव ही मिल सके हैं। इतना ही नहीं, जिस समय यह विमान हादसा हुआ उस वक्त टोक्यो एयरपोर्ट पर एक और ब्लास्ट हुआ। इस बम धमाके में जापान के दो बैग हैंडलर्स की जान चली गई थी। इस बम के जरिये एक दूसरी बैंकॉक जाती एयर इंडिया फ्लाइट में धमाके की साजिश थी, मगर बम समय से पहले ही फट गया। इन धमाकों के पीछे कनाडा में रहने वाले खालिस्तानी थे।

सूटकेस में रखा था बम

धमाका होने से एक दिन पहले की बात है मंजीत सिंह कहने वाले एक शख्स ने एअर इंडिया की फ्लाइट का टिकट कन्फर्म करने के लिए फोन किया था। उसको बताया गया कि टिकट वेटिंग है। मंजीत को पहले टोरंटो जाना था और फिर बाद में भारत के लिए रवाना होना था। वह चाहता था कि एअर इंडिया की फ्लाइट में चेक इन कर दिया जाए ताकि बार-बार सिक्योरिटी के मामलों में ना उलझना पड़े। सिंह बाद में वैंकूवर एयरपोर्ट पर पहुंचा और अपना बैग 181 में रखवाने के लिए कहा। यही विमान बाद में जाकर 182 बन गया था।

उस समय आज की तरह उपकरण नहीं थे। एजेंट ने कहा था कि टोरंटो से मॉन्ट्रियल और मॉन्ट्रियल से मुंबई तक की सीट सिंह की कन्फर्म नहीं थी। जैसे ही वह जाने लगा तो एजेंट ने उसका सूटकेस ले लिया। एजेंट ने कहा कि वह इस सूटकेस को टोरंटो में रखवा देगा लेकिन दोबारा से चेक इन करना होगा। इसके बाद 30 लोग 182 में सवार होने थे। टोरंटो से 182 फ्लाइट में सभी का सामान ट्रांसफर किया गया। इसमें एम सिंह का सूटकेस भी था। इसी सूटकेस में बम था। बाद में पता चला कि एम सिंह नाम का कोई भी व्यक्ति फ्लाइट में सवार ही नहीं हुआ और यह विमान हादसा हुआ।

इस हमले के लिए कौन था जिम्मेदार?

इस बम धमाके के पीछे खालिस्तानी थे। वह 1984 में पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर से आतंकियों को बाहर निकालने के मकसद से भारत सरकार द्वारा चलाए गए ऑपरेशन ब्लूस्टार का बदला लेना चाहते थे। सिख आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा के सदस्यों ने विमान को टारगेट किया था। बम धमाके के बाद रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) ने मामले की जांच शुरू की। इसे कनाडा के इतिहास की सबसे लंबी और सबसे कठिन आंतकी जांचों में से एक बताया जाता है।

एयर इंडिया धमाके के कई महीनों के बाद बब्बर खालसा के नेता तलविंदर सिंह परमार और इलेक्ट्रीशियन इंद्रजीत सिंह रेयात को RCMP ने गिरफ्तार किया। पुलिस ने परमार को गिरफ्तार किया। पुलिस ने केस दर्ज किया लेकिन सबूतों के अभाव की वजह से उसे रिहा कर दिया गया। इसके बाद परमार पहले पाकिस्तान गया और वहां से साल 1992 में भारत पहुंचा। यहां पर एक पुलिस एनकाउंटर में उसकी मौत हो गई। इंद्रजीत के खिलाफ टोक्यो में हुए धमाकों के सबूत थे। धमाके में 2 जापानी लोगों की हत्या के अपराध में इंद्रजीत को कनाडा में 10 साल की सजा हुई। इतना ही नहीं, रिपुदम सिंह मलिक और अजायब सिंह बागड़ी को भी गिरफ्तार किया गया। 2005 में कनाडा पुलिस की जांच मजबूत नहीं थी। इसी वजह से यह दोनों छूट गए।

हर साल बम विस्फोट की सालगिरह पर फ्लाइट 182 में मारे गए लोगों की याद में पूरे कनाडा में स्मारक बनाए जाते हैं। वैंकूवर, टोरंटो, मॉन्ट्रियल और ओटावा जैसे शहरों में पीड़ितों को याद करने और उनके परिवारों और दोस्तों को श्रद्धांजलि देने के लिए समारोह आयोजित किए जाते हैं। वैंकूवर में भारत के दूतावास ने मंगलवार को एक्स पर पोस्ट कर कहा कि भारत आतंकवाद के खतरे का मुकाबला करने में सबसे आगे है और इस वैश्विक खतरे से निपटने के लिए सभी देशों के साथ मिलकर काम करता है।

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