BIHAR MONSOON UPDATE 2024: बिहार में पड़ी ऐसी गर्मी कि लोगों ने एसी-कूलर खरीद कर बिजली बिल का 'गर्दा कबार' दिया, कहा- मॉनसून का क्या भरोसा

पटना: बिहार में इस साल ऐसी गर्मी पड़ी है कि लोगों ने एसी और कूलर खरीद कर बिजली बिल का 'गर्दा कबार' दिया है। बिहार में 'गर्दा कबार देना' मुहावरे का मतलब होता है हद से ज्यादा कोई भी काम कर देना वो भी तकलीफ या जोश में। कुल मिलाकर बिहार में इस समय बहुत ज्यादा गर्मी पड़ रही है। लोगों को गर्मी से बहुत परेशानी हो रही है। इतनी गर्मी पहले कभी नहीं पड़ी। इस गर्मी ने बिहार में बिजली के इस्तेमाल का पूरा हिसाब ही बदल दिया है। पहले जहां दिन में कम और रात में ज्यादा बिजली इस्तेमाल होती थी, वहीं अब दिन और रात में लगभग बराबर बिजली इस्तेमाल हो रही है।

2023 में भी कुछ ऐसा ही हाल रहा था

पिछले साल कुछ ही दिन ऐसे थे जब दिन में रात जितनी बिजली इस्तेमाल हुई थी। लेकिन इस साल अप्रैल से ही गर्मी ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया था। मई-जून में तो गर्मी और भी ज्यादा बढ़ गई। इसलिए लोगों ने एसी और पंखे जैसे बिजली से चलने वाले सामान खूब खरीदे। अब लोग दिन में भी एसी चला रहे हैं जिससे सुबह 8 बजे से ही बिजली की मांग बढ़ जा रही है। आजकल दिन में औसतन 7 हजार मेगावाट बिजली की खपत हो रही है। पहले यह खपत रात 8 बजे से 12 बजे के बीच होती थी, जिसे पीक आवर कहते हैं।

गर्मी के कारण पीक आवर भी बदल गया

गर्मी के कारण अब पीक आवर का समय भी बदल गया है। पहले रात 8 बजे से 12 बजे तक सबसे ज्यादा बिजली इस्तेमाल होती थी, जिसे पीक आवर माना जाता था। लेकिन अब रात 8 बजे से 2 बजे तक सबसे ज्यादा बिजली इस्तेमाल हो रही है। 2 बजे के बाद बिजली की खपत कम हो जाती है। लेकिन सुबह 8 बजे से फिर से बिजली की खपत बढ़ जाती है और सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक रात के बराबर बिजली इस्तेमाल होती है। इस कारण पहले जहां दिन और रात की बिजली खपत में 1000 से 1500 मेगावाट का अंतर होता था, वहीं अब यह अंतर सिर्फ़ 400-500 मेगावाट का रह गया है।

इस साल तो बिजली उठाने का रिकॉर्ड ही बन गया

पिछले साल जुलाई में सबसे ज्यादा 7,576 मेगावाट बिजली की खपत हुई थी। लेकिन इस बार यह रिकॉर्ड जून में ही टूट गया जब 7,588 मेगावाट बिजली की खपत हुई। एक स्थानीय अखबार के मुताबिक अधिकारियों का मानना है कि जिस तरह से बिजली की खपत बढ़ रही है, इस साल बिहार में 8 हजार मेगावाट से ज्यादा बिजली कंजप्शन हो सकता है, और ये रिकॉर्ड तो जून-जुलाई में ही बन सकता है। पटना के एक निवासी मिलन कुमार उर्फ गोरका ने नवभारत टाइम्स बिहार संवाददाता से कहा कि 'मॉनसून का क्या भरोसा? अब ऐसे में बच्चों के बीमार होने के बाद डॉक्टर का बिल भरने से अच्छा है कि बिजली बिल ही भर दिया जाए।' वहीं पटना के दिलीप मिश्रा उर्फ तोतो का कहना था कि ऐसी गर्मी में जान देखें या बिजली बिल?

अब बिजली विभाग की परेशानी समझिए

दिन और रात में बिजली की खपत बराबर होने से बिजली विभाग को परेशानी हो रही है। पहले दिन में बिजली की खपत कम होने पर बिजली के उपकरणों की मरम्मत आसानी से हो जाती थी। लेकिन अब दिन में भी बिजली की खपत ज्यादा होने के कारण बिजली के उपकरणों की मरम्मत करना मुश्किल हो गया है। क्योंकि मरम्मत के लिए बिजली बंद करनी पड़ती है, जो अब आसानी से संभव नहीं है। इसके अलावा, लगातार चलते रहने के कारण बिजली के उपकरणों में खराबी भी ज्यादा आ रही है।

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2024-06-16T06:36:23Z dg43tfdfdgfd