बिहार क्यों बन रहा 'बैंक डकैती कैपिटल'? HDFC, AXIS, SBI समेत तमाम BANK हैं सॉफ्ट टारगेट

पटना: बिहार इन दिनों बैंक रॉबरी को लेकर लगातार चर्चा में है। 2024 की बात करें तो एक के बाद बैंक लूट की घटनाएं लगातार हो रही है। आखिर बैंक अपराधियों के सॉफ्ट टारगेट में क्यों हैं? क्या सुरक्षा में कमी एक बड़ा कारण है? क्या यह बैंककर्मी की मिली भगत से होता है? क्या छोटे बड़े सभी बैंकों में टाइमर लॉक लगाना जरूरी है? ऐसे कई प्रश्न हैं जो आम जनता के बीच बैचैनिया पैदा करती हैं। पहले जानते हैं हाल कि कुछ प्रमुख बैंक लूट कांड और फिर इन घटनाओं पर विशेषज्ञों की राय भी...

1 जुलाई 2024 शेखपुरा (बरबीघा एक्सिस बैंक से 30 लाख की लूट)

बिहार के शेखपुरा जिले के बरबीघा में अपराधियों ने दिन-दहाड़े एक्सिस बैंक की शाखा से सोमवार की सुबह करीब 10 से 11 बजे के बीच 30 लाख रुपये लूट लिए। बताया जा रहा है कि बैंक खुलते ही तीन बाइक पर सवार लगभग 6 अपराधियों ने ग्राहक बनकर बैंक में प्रवेश किया। इसके बाद अपराधियों ने हथियार के बल पर बैंक प्रबंधक सहित अन्य कर्मचारियों को बंधक बनाया और लूट की घटना को अंजाम दिया गया।

15 जून 2024 (बिहटा का एक्सिस बैंक में 17.5 लाख की लूट)

पटना में बेखौफ लुटेरों ने बिहटा के देवकुली स्थित एक्सिस बैंक से शनिवार (15 जून) को बैंक में मौजूद कर्मचारियों को बंधक बनाकर 17. 50 लाख लूटकर फरार हो गए। यह घटना सुबह 11: 41 की थी। अपराधियों ने पहले हथियार निकालकर बैंक में मौजूद बैंककर्मी और ग्राहक को एक रूम में बंद कर दिया और बैंक के मैनेजर नजीर अहमद से बैंक के लॉकर की चाबी मांगी। इसके बाद बैंक के लॉकर में रखे 17 लाख 50 हजार साथ ही ग्राहक गणेश चौधरी से 41 हजार लूट लिए। इसके अलावा बैंक में मौजूद माइक्रोफाइनेंस कर्मी से 1 लाख 45 हजार हथियार का भय दिखाकर लूट लिए।

21 मार्च 2024 (बेगुसराय 20लाख की लूट)

बिहार के बेगूसराय में दिनदहाड़े HDFC बैंक में अपराधियों ने डाका डाला और 20 लाख रुपये लूटकर चले गए। यहां पांच की संख्या में हथियारों से लैस बदमाश बैंक में दाखिल हुए और लूटपाट शुरू कर दी। विरोध करने पर बैंककर्मियों के साथ मारपीट भी की। यह घटना नगर थाना क्षेत्र के हर-हर महादेव चौक एनएच-31 किनारे एचडीएफसी बैंक शाखा की है। एचडीएफसी बैंक में पांच की संख्या में बदमाश ग्राहक की वेश में दाखिल हो गए और कर्मचारियों से हथियार के बल पर लूटपाट शुरू कर दी। इसके बाद काउंटर पर रखे 20 लाख रुपये लूट कर फरार हो गए।

23जनवरी 2024 (अररिया 90 लाख की लूट)

बिहार के अररिया जिले के एडीबी चौक स्थित एक्सिस बैंक की शाखा में मंगलवार (23 जनवरी 2024) को दिनदहाड़े बाइक सवार आधा दर्जन बदमाशों ने हथियार लेकर धावा बोला। बदमाशों ने लगभग 20 मिनट तक बैंक के अंदर दहशत फैलाई। इस दौरान उन्होंने करीब 90 लाख की लूट की। बदमाशों ने बैंक के कैश काउंटर, स्ट्रॉग रूम और ग्राहकों लगभग 90 लाख की लूट की। इसके बाद वह आराम से चलते बने। हैरान करने वाली बात यह थी कि जिस जगह लूट की घटना को अंजाम दिया गया है वह एसडीपीओ आवास से लगभग 100 मीटर की दूरी पर ही है।

यहां भी करीब आधा दर्जन यानी 6 बदमाशों ने पिस्टल की नोंक पर बैंक में लूटपाट की। उन्होंने सबसे पहले गार्ड, फिर बैंक मैनेजर और कर्मचारियों को कब्जे में किया।

टाइमर लॉक जरूरी: मुकेश प्रत्युष

अवकाश प्राप्त वरीय पदाधिकारी एसबीआई मुकेश प्रत्युष का मानना है कि अधिकांश बैंक अनगार्डेड होते हैं या फिर कोई एक प्राइवेट गार्ड होते हैं। ये लोग इतने ट्रेंड भी नहीं होते। बैंकों को सुरक्षा बजट बढ़ाने की जरूरत है। कोशिश यह होनी चाहिए कि गार्ड ट्रेंड हो। बेहतर तो यह है कि छोटे छोटे बैंक भी फौज से अवकाश प्राप्त को सुरक्षा का जिम्मा दें।

साथ ही आज जरूरत है कि बैंकों की संख्या भी एक लिमिट के अंदर हो। ऐसा नहीं कि एक गली में चार चार बैंक खुले हों। जिला प्रशासन की भी एक सीमा है। सरकारी और बड़े बैंकों में तो नियम है कि जिला प्रशासन सुरक्षा की दृष्टि से कुछ पुलिस बलों की तैनाती करे। पर छोटे बैंक को यह सुविधा नहीं है। हालंकि बैंक लुटेरों की संख्या बड़ी कम होती है, लेकिन बैंक में मौजूद खाता धारियों का सहयोग नहीं मिलता है।

एक उपाय यह भी है कि बैंकों में टाइमर लॉक की अनिवार्यता कर दी जाए। इससे बैंक की तिजोरी से लूटना कम हो सकता है। तब ये राशि बड़ी नहीं हो सकती।

क्या अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है: विष्णुकांत

बिहार के प्रख्यात पत्रकार (क्राइम विशेषज्ञ) विष्णुकांत झा मानते हैं कि पुलिस रिकॉर्ड में बैंक डकैती सबसे बड़ा गंभीर अपराध है, लेकिन आज के समय यह अपराध सामान्य कोटि में दिखाई दे रहा है। यही नहीं इसे नियंत्रित करने की व्यवस्था से जुड़े लोग भी इसको रोजमर्रे की सामान्य घटना से ज्यादा नहीं समझते। 90 के दशक के पूर्व एक बैंक डकैती की घटना के बाद पुलिस के आला अफसर से लेकर शासन तक में बेचैनी बढ़ जाती थी।

आखिर इसमें इतना बदलाव कैसे आया? इस सवाल का जवाब है अपराधियों का पुलिस और कानून से भयमुक्त होना। पुलिस के कार्यों में निरंतर आयी शिथिलता और घटनाओं का औपचारिक तौर पर निपटारा कर अपने काम का इतिश्री बैंक डकैती की घटनाओं को बढ़ावा दे रहा है। अनुसंधान संभवतः पुलिसकर्मी भूल गये हैं। इस सच से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि इसके लिए थाने के पुलिसकर्मी ही आला अफसर भी पूरी तरह जिम्मेदार हैं।

जमीनदारों का काम करने के आदि हो गये अधिकारी इस तरह घटनाओं के बाद SHO से सिर्फ घटना की जानकारी लेकर अपने कर्तव्य को विराम दे देते हैं। मुखबिर तो अब सपना सा हो गया है। इस सच से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि अपराधियों तक पूरी जानकारी बैंक से जुड़ा व्यक्ति ही दे सकता है। इसका खुलासा तो अनुसंधान के बाद ही हो सकता है, लेकिन इसकी जरूरत ही पुलिस नहीं समझती। आम आवाम में यह बात फैलायी गयी बैंक की राशि सरकारी है और लोगों का पैसा सुरक्षित है, इसलिए लोग ऐसी घटनाओं के बाद मौन रह जाते हैं। बिहार में यह हाल तब है जब पटना के सिटी एसपी के रूप में कभी तैनात आरएस भठ्ठी के नाम से अपराधी कांप उठते थे।

आज भठ्ठी जी बिहार पुलिस के सर्वोच्च पद पर हैं। शासन की इस तरह की घटनाओं को सहजता से लेना लोगों के मन में यह सवाल जरूर पैदा करता है कि क्या अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है और पुलिस पर भी राजनीतिक अंकुश है।

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