गरीबी की वजह से 7वीं के बाद छोड़ दी पढ़ाई, मिल मजदूर का बेटा अब 6,000 लोगों का चला रहा घर

मशहूर कवि और शायर मोहम्मद इकबाल का एक बहुत ही लोकप्रिय शेर है, "खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले, खुदा बंदे से खुद पूछे कि बता तेरी रजा क्या है..." यह शेर कारोबारी राजेश डोंगरे पर एकदम सटिक बैठता है, जिन्होंने गरीबी और खराब परिस्थितियों की वजह से सातवीं कक्षा के बाद स्कूल छोड़ने पर मजबूर हो गए। वही 48 वर्षीय राजेश डोंगरे आज महाराष्ट्र के सोलापुर में एक छोटे से व्यवसाय के गौरवशाली मालिक हैं, जिसमें 6,000 महिलाएं काम करती हैं। एक मिल मजबूर के बेटे राजेश अपनी मेहनत और लगन की वजह से आज 6,000 लोगों का घर चला रहे हैं।

राजेश डोंगरे उर्फ ​​राजू (Rajesh Dongre alias Raju) भारत की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई से लगभग 400 किलोमीटर दूर सोलापुर में महालक्ष्मी गृह उद्योग (Mahalakshmi Griha Udyog in Solapur) के मालिक हैं। यह कारखाना पापड़म (पापड़म को हिंदी में पापड़ कहते हैं) बनाता है।

मिल में मजदूर थे माता-पिता

डोंगरे के माता-पिता सोलापुर में एक मिल में काम करते थे। मिल के बंद होने से उनके परिवार की आर्थिक हालत काफी खराब हो गई और गरीबी की वजह से वह आगे की पढ़ाई नहीं कर सके। राजेश को मजबूरन स्कूल छोड़ना पड़ा और पैसे के लिए कम उम्र में ही काम करना शुरू करना पड़ा।

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इस बीच, उनकी मां ने पापड़ बनाना शुरू कर दिया, जिसके बाद उन्होंने 2013 में सोलापुर में चार महिला श्रमिकों के साथ महालक्ष्मी पापड़ का कारोबार शुरू किया। आज, सोलापुर शहर में इसी नाम से 11 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं, जहां महिलाओं को पापड़ बनाने का ट्रेनिंग दिया जाता है। महिलाओं द्वारा बनाए गए इन पापड़ों को मुंबई और अन्य राज्यों के एक हाई प्रोफाइल होटलों में बेचा जाता है।

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