आपातकाल के विरुद्ध प्रस्ताव बोले अमित शाह, इसने कांग्रेस की तानाशाही मानसिकता को एक्सपोज कर दिया

लोकसभा में आज आपालकाल को लेकर प्रस्ताव पेश किया गया, जिस स्पीकर ओम बिरला ने अपने विचार रखे। लोकसभा में आपातकाल पर पेश किए गए प्रस्ताव पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, "ये सदन 1975 में देश में आपातकाल(इमरजेंसी) लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है। इसके साथ ही हम, उन सभी लोगों की संकल्पशक्ति की सराहना करते हैं, जिन्होंने इमरजेंसी का पुरजोर विरोध किया, अभूतपूर्व संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया।"

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, "1975 में आज के ही दिन तब की कैबिनेट ने इमरजेंसी का पोस्ट-फैक्टो रेटिफिकेशन किया था, इस तानाशाही और असंवैधानिक निर्णय पर मुहर लगाई थी। इसलिए अपनी संसदीय प्रणाली और अनगिनत बलिदानों के बाद मिली इस दूसरी आजादी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने के लिए, आज ये प्रस्ताव पास किया जाना आवश्यक है। हम ये भी मानते हैं कि हमारी युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के इस काले अध्याय के बारे में जरूर जानना चाहिए।"

गृहमंत्री अमित शाह ने किया प्रस्ताव का समर्थन

आज लोकसभा में 1975 के आपातकाल के विरुद्ध प्रस्ताव रखकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बाबासाहब अंबेडकर के संविधान का अपमान करने वाली कांग्रेस सरकार के दमन और शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने वाले सत्याग्रहियों के संघर्ष को सम्मान देने का काम किया है, जिसका मैं ह्रदय से समर्थन करता हूं।

सदन ने आज 'आपातकाल' रूपी उस 'अन्याय काल' को याद करते हुए इंदिरा सरकार के शोषण और अत्याचार को सहने वाले गरीबों, दलितों और पिछड़ों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की, जब देश के नागरिकों के अधिकार नष्ट कर उनकी आजादी छीन ली गई थी। साथ ही, सदन ने इस बात पर दुःख जताया कि आपातकाल में कैसे पूरे देश को जेलखाना बना दिया गया था और इंदिरा सरकार ने कैसे हमारे संविधान की भावना को कुचलने का काम किया था।

प्रस्ताव ने कांग्रेस की तानाशाही मानसिकता को किया एक्सपोज- शाह

शाह ने आगे लिखा कि संसद के इस प्रस्ताव ने आपातकाल के काले कालखंड में संविधान में किये गए कई संवेदनशील संशोधनों से एक व्यक्ति के पास सारी शक्तियों का केन्द्रीकरण करने वाली कांग्रेस की तानाशाही मानसिकता को एक्सपोज करने का काम किया है।

लाखों नेताओं को अकारण जेल में बंद रखा गया- शाह

कांग्रेस द्वारा विपक्ष के लाखों नेताओं को अकारण डेढ़ साल से अधिक समय तक जेल में बंद करने की क्रूरताओं की निंदा करने का काम किया है। ज्युडीशियरी, ब्यूरोक्रेसी और मीडिया जैसे प्रमुख स्तंभों को आघात पहुंचाने वाली कांग्रेस की लोकतंत्र विरोधी सोच को उजागर किया है। संसदीय लोकतंत्र समाप्त करने वाली कांग्रेसी सोच की कभी पुनरावृत्ति न हो, इसके प्रति जागरूकता फैलाने का संदेश दिया है।

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