TRANSPORT CHECK POSTS: परिवहन विभाग का आदेश ही दिखावा, कटर नए न वसूली

वरुण शर्मा,ग्वालियर। परिवहन विभाग की जांच चौकियों पर न कटर यानी निजी व्यक्ति नए हैं न वसूली नई है। परिवहन विभाग का यह आदेश हकीकत में सिर्फ एक दिखावा है। परिवहन विभाग की जांच चौकियों का सच किसी से छिपा नहीं है। प्रदेश की 42 चौकियों पर कौन व्यवस्था संभालता है सबको पता है। सबसे ज्यादा शिकायतों का ढ़ेर भी यहीं से आता है। इसमें भी चौंकने की बात नहीं कि परिवहन विभाग की जांच चौकी ही विभाग की बदनामी का सबसे बड़ा कारण हैं।

इन जांच चौकियों के माध्यम से एक समानांतर व्यवस्था खड़ी कर ली गई है,हकीकत में जिसका पूरा सच अधिकारियों काे पता रहता है। यह दूसरे रास्ते से आने वाला राजस्व लाखों नहीं करोड़ो का खेल है। परिवहन विभाग के आयुक्त हों या अपर आयुक्त स्तर के अधिकारी सबको यह पता है कि जांच चौकियों पर चलता क्या है। ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन से लेकर छोटे कारोबारी इस पूरी व्यवस्था से परेशान हैं। एक तरह से यह परिवहन विभाग की परंपरा सी बन गई है।

बता दें कि प्रदेश की परिवहन चौकियों पर निजी व्यक्तियों यानी कटर के कारण विभाग के पास सबसे ज्यादा शिकायतें पहुंचती हैं, ट्रांसपोटर्स से लेकर चालकों की एक ही पीड़ा हाइवे पर है कि परिवहन चौकियों पर जांच के नाम पर जमकर वसूली की जाती है। प्रदेश में 42 जांच चौकियां हैं और इनमें कुछ इतनी बड़ी और बदनाम चौकियां हैं जहां किसी भी ट्रक को बिना वसूली के निकलने ही नहीं दिया जाता है। इन चौकियों को आटोमेटेड करने के लिए प्रस्ताव शासन पर लंबित है लेकिन इसे आगे ही नहीं बढ़ाया जा रहा है। विभाग के पास अमला व संसाधनाें की कमी है इसके बाद भी सरकार ध्यान नहीं दे रही है।

ऐसे काम करते हैं कटर

परिवहन चेक पोस्टों पर निजी व्यक्तियों की मौजूदगी पूरे सुनियोजित ढंग से की जाती है। चौकियां से कुछ दूर पहले ही मुंह छिपाकर खड़े होने वाले कटर डंडे की दम पर ट्रकों को रोक लेते हैं, इसके बाद उनसे एंट्री मांगी जाती है। जो ट्रक वाले आसानी से नहीं देते वह चौकी पर जाकर संपक करते हैं। चाैकी पर एक दो सिपाही जरूर दिख जाएंगे लेकिन चौकी प्रभारी दाएं बाएं रहते हैं जिससे सामने न आना पड़े। इसके बाद परेशान होेकर ट्रक चालक को एक हजार से लेकर तीन हजार तक वसूली देना पड़ती है। चौकियों पर ट्रकों के नंबर लेकर मासिक वसूली का सिस्टम भी बना लिया जाता है।

पर्दे के पीछे: चौकियाें का यह सिस्टम समानांतर,करोड़ों में वसूली

परिवहन विभाग की चौकियों पर कटरों की तैनाती और वसूली का सिस्टम विभाग की जड़ों तक फैला हुआ है। सालों से विभाग इसी सिस्टम की आड़ में लेकिन इसे खत्म करने के लिए कभी प्रयास नहीं किए गए। परिवहन आयुक्तों की बदली होती गई लेकिन यह सिस्टम नहीं बदला। ग्वालियर और भोपाल में बैठे परिवहन विभाग के अफसरों से लेकर मंत्रियों तक चौकियों पर कटरों की तैनाती और वसूली से लेकर पूरा सिस्टम मय प्रमाण के पहुंच चुका है, शिकायतें पहुंच चुकी हैं लेकिन कोई कुछ नहीं करता। यह पूरा सिस्टम समानांतर रूप से काम करता है और इस वसूली से बड़ी व्यवस्था चलती है।

कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता ने किया एक्स पर पोस्ट

आभार, अपर परिवहन आयुक्त उमेश जोगा जी (आईपीएस) आपने यह तो स्वीकार किया कि प्रदेश की परिवहन चौकियों पर व्यापक भ्रष्टाचार है….! इस सच्चाई को पूर्व में उजागर करने का दंश मैं अभी तक झेल रहा हूं! ख़ैर,कृपाकार इसे भी परिभाषित कर दीजिए कि यहां अवैध रूप से कार्यरत “कटर” क्या बीमारी है?

जिम्मेदारों का दिखावा: न पड़ताल न निरीक्षण

परिवहन आयुक्त डीपी गुप्ता: परिवहन विभाग के मुखिया होने के बाद नाते न निरीक्षण करते न व्यवस्थाओं की की हकीकत जानी। यहां तक कि परिवहन मुख्यालय में आयुक्त बैठते ही न के बराबर हैं।

अपर आयुक्त उमेश जोगा: परिवहन विभाग के अपर आयुक्त उमेश जोगा पर प्रर्वतन की जिम्मेदारी है, इनके स्तर पर भी चौकियों से लेकर उड़नदस्ता पड़ताल को लेकर मैदानी कार्रवाई नहीं दिखी।

प्रदेश में परिवहन जांच चौकियां प्रताड़ना का केंद्र बन गई हैं, यहां वाहनों से बड़े पैमाने पर वसूली की जा रही है जो परिवहन विभाग के अधिकारियों को बखूबी पता है। यह नया आदेश सब दिखावा किया जा रहा है। दूसरी स्टेट के ट्रांसपोर्टर मप्र से होकर गुजरने में डरने लगे हैं,यह हालात बन गए हैं। इन चौकियों को तत्काल बंद कर पारदर्शी सिस्टम लाना चाहिए।

राकेश तिवारी, प्रदेश अध्यक्ष, आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट

2024-06-28T04:13:11Z dg43tfdfdgfd