NEW CRIME IN BNS: विदेश से उकसाना, शादी का झूठा वादा, आतंकी कृत्य से डेटा चोरी तक, बीएनएस में शामिल नए जुर्म

देश की आपराधिक न्याय प्रणाली बदल चुकी है। 1 जुलाई से तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनयम देशभर में लागू हो गए हैं। भारतीय कानून प्रणाली में बदलाव के लिए तीन विधेयक पिछले साल संसद में पेश किए गए थे। 

अंग्रेजों के जमाने से चल रहे तीन मुख्य आपराधिक कानूनों की जगह अब नए कानून देशभर में प्रभावी हो गए। सबसे महत्वपूर्ण बदलाव 1860 से चल रही भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में किया गया है। आईपीसी की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में कई बदलाव के साथ कई नए अपराध शामिल किए गए हैं। आइये जानते हैं बीएनएस में शामिल किए गए नए जुर्मों के बारे में...

पहले जानते हैं कि तीन नए आपराधिक कानून क्या हैं? 

1 जुलाई से लागू हुए तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनयम हैं। इन कानूनों ने क्रमशः भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) और पुराने भारतीय साक्ष्य अधिनयम की जगह ली है। 12 दिसंबर, 2023 को इन तीन कानूनों में बदलाव का बिल लोकसभा में प्रस्तावित किया गया था। 20 दिसंबर, 2023 को लोकसभा और 21 दिसंबर, 2023 को राज्यसभा से ये पारित हुए। 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति ने तीन विधेयकों को अपनी मंजूरी दी। वहीं 24 फरवरी, 2024 को केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि तीन नए आपराधिक कानून इस साल 1 जुलाई से लागू होंगे। 1 जुलाई से देशभर में तीन कानून प्रभावी हो गए हैं। 

आईपीसी की जगह बीएनएस में क्या बदलाव किए हैं?

केंद्रीय गृह मंत्री ने अमित शाह ने 20 दिसंबर, 2023 को लोकसभा में तीन विधेयकों पर चर्चा का जवाब दिया था। गृह मंत्री ने बताया था कि आईपीसी की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता में अब 511 धाराओं के स्थान पर 358 धाराएं हैं। इसमें 21 नए अपराध जोड़े गए हैं, 41 अपराधों में कारावास की अवधि बढ़ाई गई है, 82 अपराधों में दंड बढ़ाया गया है, 25 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा की शुरुआत की गई है, 6 अपराधों में सजा के रूप में सामुदायिक सेवा का प्रावधान है और 19 धाराओं को समाप्त किया गया है।

बीएनएस में नए अपराध कौन से हैं? 

मॉब लिंचिंग:

बीएनएस में मॉब लिंचिंग एक नया प्रावधान जोड़ा गया है। बीएनएस की धारा 103(2) में प्रावधान है कि जब पांच या उससे अधिक व्यक्तियों का समूह मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य आधार पर हत्या करता है, तो ऐसे समूह के प्रत्येक सदस्य को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी देना होगा। 

संगठित अपराध: नए कानून में संगठित अपराध अब एक विशेष अपराध निर्धारित किया गया है। बीएनएस की धारा 111 में संगठित अपराध से निपटने के लिए प्रावधान किया गया है। यह संगठित अपराध की श्रेणी में अपहरण, डकैती, वाहन चोरी, जबरन वसूली, भूमि हड़पना और मानव तस्करी जैसे जुर्म शामिल हैं।

आर्थिक अपराध: भारतीय न्याय संहिता में आर्थिक अपराधों को नए परिभाषा दी गई है। अब धारा 111(1) के तहत आर्थिक अपराधों में विश्वासघात, जालसाजी, जाली काम, बड़े पैमाने पर विपणन धोखाधड़ी, डिजिटल घोटाले और अधिक के किसी भी रूप में मौद्रिक लाभ हासिल करने के लिए किए गए अपराध शामिल हैं।

आतंकवादी कृत्य: आतंकवादी कृत्यों को अब स्पष्ट रूप से अपराध के रूप में शामिल किया गया है। कानून में आतंकी कृत्यों के संबंध में दंड का प्रावधान करने के लिए एक खंड 113 जोड़ा गया है। बीएनएस के अनुसार, आतंकवादी कृत्यों के लिए मृत्युदंड या बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। 

आतंकवाद-संबंधी कृत्य: नये प्रावधानों में आतंकवादी संगठन का हिस्सा बनना, आतंकवादियों को शरण देना, आतंकवाद के लिए प्रशिक्षण देना और आतंकवादी कृत्यों से हासिल धन का प्रबंधन करना शामिल है। आतंकवाद-संबंधी कृत्य बीएनएस की धारा 113(4) में परिभाषित किया गया है। 

सामुदायिक सेवा: सामुदायिक सेवा जैसी अवधारणा जो पहले मौजूद नहीं थी, अब नए कानून में है। छोटी-मोटी चोरी जैसे छोटे अपराधों के लिए जेल की सजा के बजाय सामुदायिक सेवा की सजा दी जा सकती है। सामुदायिक सेवा का प्रावधान बीएनएस की धारा 4(एफ) में शामिल किया गया है। यह धारा सामुदायिक सेवा सहित अपराधियों के लिए सजा के बारे में बताती है।

छोटे संगठित अपराध: भारतीय न्याय संहिता में 'छोटे संगठित अपराध' के लिए एक नई धारा 112 जोड़ी गई है। इसके अनुसार, जो कोई भी व्यक्ति किसी समूह या गिरोह का सदस्य होते हुए अकेले या मिलकर चोरी, छीना-झपटी, धोखाधड़ी, टिकटों की अनाधिकृत बिक्री, अनाधिकृत सट्टा या जुआ, सार्वजनिक परीक्षा के प्रश्नपत्रों की बिक्री या कोई अन्य समान आपराधिक कृत्य करता है, उसे छोटे संगठित अपराध करने वाला कहा जाता है। जो कोई भी व्यक्ति कोई छोटा-मोटा संगठित अपराध करेगा, उसे कम से कम एक वर्ष की कैद की सजा दी जाएगी, लेकिन उसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकेगा और उसे जुर्माना भी देना होगा।

शादी का झूठा वादा: शादी का झूठा वादा करके यौन संबंध बनाने के बाद महिलाओं को छोड़ देने जैसे मामलों के लिए नया प्रावधान किया गया है। भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 69, विवाह का झूठा वादा करके यौन संबंध बनाने को अपराध बनाने पर केंद्रित है। इसके लिए 10 वर्ष तक की कैद और जुर्माना हो सकता है।

देश के विरुद्ध अपराध: नए कानून ने राजद्रोह के अपराध को पूरी तरह से निरस्त कर दिया है। हालांकि, कानून में देश के खिलाफ अपराध का एक नया प्रावधान 'देशद्रोह' है। बीएनएस की धारा 152 भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों से सबंधित है। 

घृणित अपराध: बीएनसी की धारा 103 में नस्ल, जाति या समुदाय के आधार पर हत्या को एक अलग अपराध के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

हिट एंड रन दंड: चूंकि हिट एंड रन के मामले बढ़ रहे हैं। इसलिए धारा 106 (2) के तहत एक नया प्रावधान किया गया है। हिट एंड रन मामलों में मृत्यु के लिए सजा को अधिकतम दो वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष कर दिया गया। बता दें कि ट्रांसपोटर्स के विरोध के चलते भारतीय न्याय संहिता की धारा 106(2) 1 जुलाई से लागू नहीं की गई है। 

चिकित्सा लापरवाही: इस लापरवाही से निपटने के लिए विशेष प्रावधान जोड़े गए हैं। धारा 106(1) में चिकित्सा प्रक्रिया करते समय चिकित्सक द्वारा की गई लापरवाही और जल्दबाजी के कारण मृत्यु का प्रावधान है। इस अपराध के लिए दो साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।

महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा: भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के बारे में एक नया अध्याय जोड़ा गया है। धारा 70(2) में 18 वर्ष से कम उम्र की महिला के बलात्कार के अपराध में आजीवन कारावास और मृत्यु दंड का प्रावधान किया गया है। धारा 70(1) के तहत गैंगरेप के मामलों में 20 साल या जिन्दा रहने तक की सजा का प्रावधान किया गया है।

स्नैचिंग: नए कानून में स्नैचिंग यानी छिनैती को नया अपराध परिभाषित किया गया है। नया कानून इसे किसी गिरोह या गिरोह के सदस्य या यहां तक कि गिरोह से जुड़े नहीं किसी व्यक्ति द्वारा चेन या मोबाइल फोन छीनने के रूप में परिभाषित करता है। धारा 304(1) में परिभाषित स्नैचिंग भी चोरी से अलग एक 'नया' अपराध है। बीएनएस की धारा 304(2) में प्रावधान है कि जो कोई भी छीना-झपटी करेगा, उसे तीन वर्ष तक के कारावास की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी देना होगा। 

डेटा चोरी भी अपराध: भारतीय न्याय संहिता में चोरी में डिजिटल वस्तुएं भी शामिल की गई हैं। धारा 337 के तहत चोरी की परिभाषा में अब डेटा चोरी और पहचान की चोरी भी शामिल है।

विदेश में बैठकर उकसाना अपराध: भारत के बाहर किसी व्यक्ति द्वारा उकसाने को धारा 48 के तहत अपराध बनाया गया है ताकि विदेश में स्थित व्यक्ति पर मुकदमा चलाया जा सके। धारा 48 कहती है कि यदि कोई व्यक्ति किसी अपराध को बढ़ावा देता है, जो भारत के बाहर और उससे परे भारत में किसी ऐसे कार्य को करने के लिए उकसाता है, जो भारत में किए जाने पर अपराध माना जाएगा।  

बच्चों से अपराध करवाना जुर्म: किसी बच्चे को अपराध करने के लिए काम पर रखना, नियोजित करना या अब बीएनएस के तहत अपराध है। इस अपराध को धारा 95 में जोड़ा गया है।  

आत्महत्या का प्रयास करना अपराध: कानूनी शक्ति के प्रयोग को बाध्य करने या रोकने के लिए आत्महत्या का प्रयास करना अपराध है। धारा 226 कहती है कि जो कोई किसी सरकारी कर्मी को उसके आधिकारिक कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने या मजबूर करने के इरादे से आत्महत्या करने का प्रयास करता है, उसे एक वर्ष तक की अवधि के लिए साधारण कारावास या जुर्माना या दोनों या सामुदायिक सेवा से दंडित किया जाएगा। 

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