नईदुनिया प्रतिनिधि,ग्वालियर। दूर दराज से अपने अपने जरूरी कामों को लेकर अफसर से लेकर कर्मचारियों के पास आने वाली जनता को यह लोग कुर्सी पर मिलें कोई गारंटी नहीं है। जब यह सरकार के ही आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं तो क्या जनता के काम समय पर होंगे। यही सबसे बड़ा कारण है कि सरकारी दफ्तरों में संबंधित अफसरों से लेकर कर्मचारियों को ढूंढते रहिए, मिल गए तो बड़ी बात होगी।
सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश को हवा में उड़ाने वाले अफसरों का खुद के समय पर आने पर नियंत्रण है न अपने अधीनस्थाें की मानीटरिंग करते हैं। सरकारी दफ्तरों के साढ़े दस बजे तक ताले ही नहीं खुल रहे हैं, इससे यह साफ है कि किसी को शासन के आदेश की चिंता नहीं है। खास बात यह कि यह सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक का आदेश कोई नया नहीं है, इसके बाद भी यह हाल है। नईदुनिया पड़ताल में गुरूवार को कलेक्ट्रेट, नगर निगम और जिला पंचायत में सुबह 10 बजे जब हालात देखे तो अधिकतर अफसर व कर्मचारियों की कुर्सियां खाली ही पड़ीं थीं।
गुरुवार की सुबह 9 बजकर 55 मिनट पर नईदुनिया टीम जिला पंचायत कार्यालय पहुंची। सीईओ जिला पंचायत विवेक कुमार 10 बजे कार्यालय नहीं पहुंचे थे। इस समय कार्यालय का ताला खुल चुका था। कार्यालय अधीक्षक सबसे पहले दफ्तर पहुंचे। इसके अलावा कोई अधिकारी व कर्मचारी कार्यालय में तय समय पर नहीं पहुंचा। सुबह 10 बजकर 02 मिनट पर मनरेगा शाखा कमरा नंबर 116 का ताला खुला था, लेकिन शाखा में कोई मौजूद नहीं था। वहीं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कमरा नंबर 117 सूना था।
सुबह 10.05 बजे कमरा नंबर 119 का ताला तो खुला था, लेकिन कमरे में कोई मौजूद नहीं था। इसमें निर्माण शाखा, स्थापना शाखा, पंचायत प्रकोष्ठ शाखा से संबंधित कर्मचारी व अधिकारी बैठते हैं। लेखाधिकारी मनरेगाा कमरा नंबर 114 समय सुबह 10.06 बजे मौजूद नहीं थे।
समय सुबह 10.08 बजे स्वच्छ भारत मिशन कमरा नंबर 210 पर ताला पड़ा था। यह ताला 10.30 बजे खुला, लेकिन आया फिर भी कोई नहीं। प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण व जीटीपीसी, लोक सेवा गारंटी कक्ष पर भी ताला पड़ा था। कक्ष क्रमांक 204 परियोजना अधिकारी के कक्ष पर भी ताला लटका था।
2024-06-28T03:28:04Z dg43tfdfdgfd