HATHRAS STAMPEDE: हाथरस हादसे की क्या है सच्चाई? चश्मदीदों ने आंखों देखी बताई

Hathras Satsang Stampede: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के एक गांव में मंगलवार (02 जुलाई) को धार्मिक समागम में मची भगदड़ में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. यह पहली बार नहीं है जब भारत में पिछले कुछ सालों में मंदिरों और दूसरे धार्मिक समागमों में मची भगदड़ में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है.

इससे पहले धार्मिक समागमों में मची भगदड़ से होने वाली सबसे बड़ी दुर्घटनाओं में 2005 में महाराष्ट्र के मंधारदेवी मंदिर में 340 से ज़्यादा श्रद्धालुओं की मौत और 2008 में राजस्थान के चामुंडा देवी मंदिर में कम से कम 250 लोगों की मौत शामिल है. हाथरस में हुए इस हादसे के बारे में वहां मौजूद लोगों ने आंखों देखी बयां की.

क्या बोले चश्मदीद?

यूपी तक के मुताबिक, सोनू दीक्षित नाम के एक स्थानीय निवासी ने कहा, “जब मैं यहां पर आया तो भोले बाबा निकलकर जा रहे थे और उनके पैर छूने के लिए या कुछ और करने के लिए कुछ लोग भागे. ऐसे में अन्य लोग भी भागे और भगदड़ मच गई. कुछ लोग एक गड्ढे में गिर गए जिनको निकालने की कोशिश की. इस दौरान बाबा के सेवादार आ गए तो उन्होंने मना किया और कहा कि चले जाओ. हमने वीडियो और फोटो निकालने की कोशिश की तो उन्होंने धमकाया कि भाग जाओ यहां से नहीं तो बहुत पीटेंगे.”

भोले बाबा ने नहीं ली प्रशासन की सहायता?

सत्संग में बदइंतजामी पर सोनू दीक्षित का कहना है कि इन लोगों ने प्रशासन से मदद नहीं मांगी. इन्होंने पुलिस और प्रशासन से कुछ कहा ही नहीं था. इन लोगों ने इस तरह की भीड़ के बारे में पुलिस को जानकारी भी नहीं दी.

वहीं, न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए एक अन्य चश्मदीद ने कहा, “भोले बाबा की गाड़ी जा रही थी और इसी के पीछे उनके भक्त भी भागने लगे. इतने में ही भगदड़ मच गई और एक दूसरे के ऊपर चढ़ गए जिसमें सैकड़ों का तादात में लोग दब गए. कुछ लोगों की मौत हो गई जबकि कुछ घायल हुए.”

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