राहुल का भाषण तो दुनिया ने सुना, फिर कहां से-कैसे निकाले गए शब्द? जानिए EXPUNGING का संसदीय नियम

नई दिल्ली: राहुल गांधी ने लोकसभा में दिए अपने भाषण के कुछ अंश सदन की कार्यवाही से हटाए जाने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा है। राहुल गांधी लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता हैं। उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए कुछ ऐसी बातें की थीं जिसे सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया। अंग्रेजी में इस प्रक्रिया को एक्सपंज (Expunge) किया जाना कहा जाता है। आइए जानते हैं कि संसद में किसी भी सदस्य के भाषण से किस हिस्से को क्यों हटाया जाता है और यह फैसला करने का अधिकार किसे है।

एक्सपंजिंग का नियम क्या है, जान लीजिए

संसदीय प्रक्रिया की नियमावली में 'सभा की कार्यवाही, संसदीय पत्र और पत्रों की अभिरक्षा' शीर्षक से संसद की कार्यवाही में सांसदों के भाषण में प्रयुक्त शब्दों को हटाए जाने को लेकर नियम बताया गया है। इस शीर्षक का दूसरा बिंदू 'शब्दों का निकाला जाना' है। इसमें कहा गया है, यदि अध्यक्ष की यह राय हो कि वाद-विवाद में कोई ऐसा शब्द या ऐसे शब्द प्रयुक्त किए गए हैं जो मानहानिकारक या अशिष्ट या असंसदीय या अभद्र हैं तो अध्यक्ष द्वारा स्वविवेक का प्रयोग करते हुए यह आदेश दिया जा सकेगा कि ऐसा शब्द या ऐसे शब्द सभा की कार्यवाही में से निकाल दिए जाएं।

नियम के शब्दों पर गौर करें तो इसमें कहा गया है कि भाषण के उन्हीं शब्दों को संसद की कार्यवाही से निकाला जाता है जो किसी की मानहानि करते हैं, जो शिष्टाचार के विरुद्ध हैं, जो असंसदीय हों और जो अभद्र यानी भद्दे हों। नियम से यह भी स्पष्ट है कि ऐसे शब्दों को सदन की कार्यवाही से हटाए जाने का निर्णय लेने का अधिकार लोकसभा में लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा में राज्यसभा के सभापति का होता है।

संसद के रूल बुक में क्या है, देख लीजिए

दरअसल, सदन के सदस्यों के भाषण को प्रकाशित किया जाता है। इसके लिए संसद की नियम पुस्तिका में 'कार्यवाही वृत्तान्त का तैयार किया जाना और उसका प्रकाशन' नाम से शीर्षक है। इसमें लिखा गया है, 'महासचिव द्वारा सभा की प्रत्येक बैठक की कार्यवाही का पूरा वृत्तान्त तैयार करवाया जाएगा और उसे यथासाध्य शीघ्र ऐसे रूप में तथा ऐसी रीति से प्रकाशित कराया जाएगा जैसा कि अध्यक्ष द्वारा समय-समय पर निर्देश दिया जाएगा।' मतलब अध्यक्ष के निर्देश के अनुसार संसदीय कार्यवाही का प्रकाशन जितना जल्दी हो सके, प्रकाशित करवाया जाता है।

नियम कहता है कि प्रकाशन के वक्त किसी सदस्य के भाषण से जो शब्द निकाले जाते हैं, दरअसल वो भी प्रकाशित होते हैं, लेकिन उनके आगे स्टार मार्क (तारांक) लगाया जाता है। 'निकाले गए शब्दों के संबंध में कार्यवाही वृतांत में संकेत करना' में कहा गया है, 'सभा की कार्यवाही में इस तरह निकाले गए अंश पर तारांक लगाया जाएगा...'

संसद में व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी

उससे पहले 'व्यवस्था बनाए रखना' शीर्षक से सुनिश्चित नियम में कहा गया है कि लोकसभा में अध्यक्ष और राज्यसभा में सभापति को कार्यवाही के दौरान सभा में पूर्ण व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी होगी। इसमें यह भी कहा गया है कि पीठासीन अधिकारियों को सभा की व्यवस्था बनाए रखने लिए आवश्यक अधिकार भी होंगे। नियम कहता है, 'अध्यक्ष द्वारा व्यवस्था बनाई रखी जाएगी और अपने विनिश्चयों के प्रवर्तन के प्रयोजन के लिए अध्यक्ष को सब आवश्यक शक्तियां होंगी।'

राहुल गांधी ने अपने भाषण के कुछ हिस्सों को एक्सपंज किए जाने पर मीडिया के सामने प्रतिक्रिया दी। उन्होने कहा कि नरेंद्र मोदी की दुनिया से भले ही उन बातों को हटा दिए गए हों, लेकिन जनता के मन से हटाया नहीं जा सकता। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष को लिखे अपने पत्र में कहा है, 'यह देखकर स्तब्ध हूं कि जिस तरह से मेरे भाषण के काफी हिस्से को निष्कासन की आड़ में कार्यवाही से हटा दिया गया है। मेरी सुविचारित टिप्पणियों को रिकॉर्ड से हटा देना संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है।'

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2024-07-02T11:34:54Z dg43tfdfdgfd