'महाराष्ट्र में चोरों और बदमाशों की सरकार ने...', CM शिंदे के दो साल पूरे होने पर किसने कसा ये तंज

Sanjay Raut Slams Eknath Singh Sarkar: महाराष्ट्र में इसी साल विधानसभा चुनाव होने है, जिसके पहले सियासी उठापटक का दौर तेज हो चुका है। सूबे की एकनाथ शिंदे सरकार के दो साल पूरे हो चुके हैं, हालांकि लोकसभा चुनाव के नतीजों से ये समझा जा सकता है कि भाजपा और उनके सहयोगियों- अजित पवार की एनसीपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना की राह आसान नहीं रहने वाली है। शिंदे सरकार के दो साल पूरे होने पर संजय राउत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि चोरों और बदमाशों की सरकार ने महाराष्ट्र में दो साल पूरे कर लिए हैं।

'चोरों और बदमाशों की सरकार ने पूरे किए दो साल'

शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मैंने आज विज्ञापन देखा, जिसके माध्यम से मुझे पता चला कि चोरों और बदमाशों की सरकार ने महाराष्ट्र में दो साल पूरे कर लिए हैं। ये दो साल धोखाधड़ी के हैं। एक बेईमान, संविधान विरोधी सरकार बनी, नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने उस असंवैधानिक सरकार को ताकत दी।

महाराष्ट्र में इस अवैध सरकार का जन्म हुआ- राउत

उन्होंने कहा कि तटस्थ रहने वाले विधानसभा अध्यक्ष ने पक्षपातपूर्ण निर्णय देकर इस सरकार को बचाया और राज्यपाल ने असंवैधानिक बहुमत परीक्षण का आदेश दिया। इन सभी ने इस सरकार को बनाने में अवैध और असंवैधानिक काम किए। इस अवैध सरकार का जन्म हुआ और इसे कानूनी रूप से बरकरार रखा गया।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की सत्ता में बैठी धोखेबाज सरकार के पास जीने के लिए दो या तीन महीने हैं। लोकसभा चुनाव में जनता ने इस सरकार को नकारा और विधानसभा चुनाव में इस सरकार को हार का सामना करना पड़ेगा।

राउत का सवाल- शिंदे सरकार ने दो साल में क्या किया?

उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि शिंदे सरकार ने दो साल में क्या किया? धोखे से राज्य में आने वाली सरकार ने प्रदेश को कर्ज का बाजार बना दिया। उन्होंने महाराष्ट्र के उद्योग को गुजरात में जाने दिया, ये राज्य का दुर्भाग्य है कि ये दो साल से सिर्फ ढोल पीट रहे हैं।

एकनाथ शिंदे पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया उनके कहे अनुसार नहीं चलती, क्या चोर और लुटेरे कभी बढ़ते हैं? अगर आप में हिम्मत है तो आपको अपनी पार्टी बनानी चाहिए थी और अपने सिंबल पर चुनाव लड़ना चाहिए था। लोकसभा चुनाव में शिंदे के लोग जहां भी खड़े हुए, वहां लाखों रुपये देकर वोट खरीदे गए। यह विद्रोह पैसे और बेईमानी का था। इस विधानसभा चुनाव से पहले लोगों के पैसे से वोट खरीदने का सीधा प्रयास रिश्वतखोरी है।

2024-06-30T12:16:56Z dg43tfdfdgfd