भारतीय सेना को एक ऐसा हथियार मिल गया है, जिससे चीन और पाकिस्तान की नींद उड़नी तय है. इंडियन आर्मी को स्वदेशी आत्मघाती ड्रोन ‘नागास्त्र-1’ (Nagastra-1) का पहला बैच मिल गया है. इस मानवर रहित ड्रोन (UAV), का निर्माण नागपुर की सोलर इंडस्ट्रीज ने किया है. कंपनी ने साल 2023 में इजरायल और पोलैंड जैसे प्रतिस्पर्धियों को पछाड़ते हुए भारतीय सेना को UAVs नागास्त्र की सप्लाई करने का ऑर्डर प्राप्त किया था.
‘नागास्त्र-1’ (Nagastra-1) को नागपुर स्थित सोलर इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनी इकोनॉमिक्स एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (ईईएल) और बैंगलोर की जेड-मोशन के सहयोग से डिजाइन और विकसित किया गया है. इस ड्रोन को लॉयटरिंग म्युनिशन वेपन (Loitering Munition Weapons) की कैटेगरी में रखा गया है, क्योंकि यह हवा में मंडराते हुए अपने टार्गेट पर सटीक निशाना लगाने में सक्षम है.
क्या है नागास्त्र की खासियत?
‘नागास्त्र-1’ की सबसे खास बात यह है कि इस ड्रोन ये सैनिकों की जान खतरे में डाले बिना आसानी से दुश्मन के ट्रेनिंग कैंप या लॉन्च पैड पर हमला कर सकता है. नागास्त्र एक सुसाइड ड्रोन है. इसके काम करने का तरीका आम ड्रोन से काफी अलग होता है. इसकी खास बात यह है कि जैसे ही इसे अपना टारगेट मिलता है, ये उसमें क्रैश हो जाता है और लक्ष्य को समाप्त कर देता है. Nagastra-1 में खास ‘कामिकेज़ मोड’ (kamikaze mod) है और जीपीएस सिस्टम है, जिसके जरिये यह टारगेट को ढूंढता और उससे टकराकर नष्ट करता है.
9 किलो वजनी है नागास्त्र
30KM की स्पीड से दुश्मन पर हमला
SPS Aviation की एक रिपोर्ट के मुताबिक ‘नागास्त्र-1’ (Nagastra-1) ऑटो मोड में अधिकतम 30 किलोमीटर की स्पीड तय कर सकता है. जब इसे रिमोट से ऑपरेट किया जाता है तो स्पीड 15 किलोमीटर हो जाती है. यह अपने टारगेट के ऊपर 60 मिनट तक मंडरा सकता है. Economic Times की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह 1 किलो का वारहेड ले जा सकता है.
नाइट विजन कैमरे से लैस
‘नागास्त्र-1’ (Nagastra-1) की एक और खास बात यह है कि यह खास कैमरे से लैस है. नाइट विजन कैमरे भी लगे हैं. इसके जरिये 24 घंटे दुश्मन पर निगाह भी रखी जा सकती है. इसके अलावा इन ड्रोन्स की खासियत है कि इनका टारगेट मिड-फ्लाइट के दौरान भी बदला जा सकता है. अगर मिशन अबॉर्ट करना पड़े तो नागास्त्र पैराशूट के सहारे सॉफ्ट लैंडिंग में भी सक्षम है. Firstpost के मुताबिक इसमें एक ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन, कम्युनिकेशन कंट्रोल, पेलोड और न्यूमेटिक लॉन्चर भी शामिल है.
75% स्वदेशी मैटेरियल
‘नागास्त्र-1’ को बनाने वाली कंपनी के मुताबिक इसमें 75 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री है. समाचार एजेंसी ANI ने रक्षा अधिकारियों के हवाले से बताया कि आर्मी के टॉप अफसरों ने इसका प्री-डिलीवरी इंस्पेक्शन भी किया और संतुष्ट नजर आए.
सेना को कितने ड्रोन मिले?
सेना की ओर से 480 ऐसे ड्रोन का ऑर्डर ईईएल को दिया गया था, जिसमें से 120 डिलीवर किया जा चुका है. एसपीएस एविएशन के मुताबिक कंपनी नागास्त्र-2 पर भी काम कर रही है. यह ‘नागास्त्र-1’ का हाईटेक और अपडेटेड वर्जन होगा. यह 25 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर सकेगा और टारगेट के ऊपर 90 मिनट तक मंडरा सकेगा. इसके अलावा यह 2.2 किलो तक का वारहेड या हथियार ले जाने में सक्षम होगा.
POK के आतंकियों का काल
रक्षा विशेषज्ञ कहते हैं कि ‘नागास्त्र-1’ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बहुत काम आएगा. वहां आतंकियों के लॉन्च पैड, ट्रेनिंग कैंप और ठिकानों को पलक झपकते खत्म किया जा सकेगा. सैनिकों को भेजने का जोखिम भी नहीं उठाना पड़ेगा. रूस-यूक्रेन से लेकर इजराइल और हमास की लड़ाई में जिस तरीके से ड्रोन का इस्तेमाल दिखा, उस केस में ‘नागास्त्र-1’ भारत के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है.
2024-06-16T04:52:17Z dg43tfdfdgfd