केरल की KARTHUMBI छतरी से लेकर कश्मीर के SNOW PEAS और आंध्र की खास ARAKU COFFEE तक, PM MODI ने मन की बात में किया इन देसी प्रोडक्ट्स का जिक्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने रविवार को लोकसभा चुनाव के बाद अपना पहला 'मन की बात' (Mann ki baat) रेडियो प्रोग्राम किया. मन की बात के 111वें एपिसोड में पीएम मोदी ने देशवासियों से एक पेड़ अपने नाम पर लगाने की अपील की है. साथ ही इसबार उन्होंने भारत के अलग-अलग क्षेत्रों के लोकल प्रोडक्ट्स का जिक्र किया. पीएम मोदी ने आंध्र प्रदेश की अराकू कॉफी (Araku Coffee) से लेकर केरल की कार्थुम्बी छतरियां (karthumbi umbrella) और कश्मीर के हिम मटर (snow peas) तक का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इन छोटी-छोटी चीजों ने न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है बल्कि देश की सांस्कृतिक विरासत को भी बढ़ाया है. हालांकि, बहुत कम लोग इन प्रोडक्ट्स के बारे में जानते हैं.

अराकू कॉफी: जनजातीय खेतों से वैश्विक पहचान तक

आंध्र प्रदेश के पूर्वी घाट में बसी अराकू घाटी, भारत के बेहतरीन कॉफी बागानों में से एक है. दूसरे कॉफी उगाने वाले क्षेत्रों के अलग, अराकू की कॉफी की खेती स्वदेशी आदिवासी समुदायों द्वारा की जाती है. उन्होंने ही अपनी पारंपरिक कृषि तकनीकों से इस कॉफी को दुनियाभर में पहचान दिलाई है. 

अराकू कॉफी को अपने अनूठे स्वाद के लिए जाना जाता है. इसके टास्ते में हल्का सा एसिडिक टेस्ट और चॉकलेट और मसाले का मिश्रण होता है. अराकू कॉफी का उत्पादन 10,000 से ज्यादा आदिवासी किसानों की सहकारी समिति द्वारा किया जाता है. इन सभी को पहले जैविक खेती तकनीकों में ट्रेनिंग दी जाती है. 

सहकारी मॉडल यह सुनिश्चित करता है कि कॉफी की बिक्री से होने वाला मुनाफा सीधे किसानों तक पहुंचे, जिससे उनकी अच्छी इनकम हो सके. अराकू कॉफी को पसंद करने वाले दुनियाभर में हैं. पेरिस से लेकर लंदन और टोक्यो के प्रीमियम कैफे के मेनू में भी ये जगह बना चुकी है. 

कार्थुम्बी छतरियां: केरल की रंगीन विरासत

केरल को अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और शिल्प कौशल के लिए जाना जाता है. इसके कई कलात्मक खजानों के बीच, कार्थुम्बी छतरियां भी एक हैं. 

कार्थुम्बी छाता बनाने में एक सावधानी भरी प्रक्रिया शामिल होती है. इसमें पारंपरिक तकनीकों को नए डिजाइनों के साथ जोड़ा जाता है. कारीगर बांस और कपड़े जैसी लोकल चीजों का उपयोग करते हैं, और हर छतरी पर अलग पैटर्न बनाकर उसे रंगा जाता है. ये पैटर्न केरल की वनस्पतियों और जीवों से प्रेरित होते हैं. 

कार्थुम्बी छतरियों ने स्थानीय अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान दिया है.  विशेष रूप से महिला कारीगरों को इससे काफी फायदा हुआ है. कार्थुम्बी छाते केवल हाथ से बनाए जाने वाला एक प्रोडक्ट नहीं है बल्कि इससे कहीं अधिक हैं. ये सांस्कृतिक प्रतीक हैं जो केरल की कलात्मक विरासत को सभी के सामने रख देता है. 

कश्मीर के बर्फीली मटर 

कश्मीर, को अक्सर "पृथ्वी का स्वर्ग" कहा जाता है. यहां कई बेशकीमती फसलें हैं. इन्हीं में से एक है स्नो मटर. कुरकुरे, कोमल मटर दुनिया भर के लजीज रसोईघरों में प्रमुख हैं. इन्हें अपने मीठे स्वाद के लिए जाना जाता है. 

कश्मीर में स्नो मटर की खेती के लिए काफी ध्यान देने की जरूरत पड़ती है. ये ठंडी जगह और उपजाऊ मिट्टी पर ही उगते हैं. कश्मीर के स्नो पीज आज दुनियाभर की अलग-अलग रसोइयों में अपनी जगह बना चुके हैं. स्नो मटर ने कश्मीर के किसानों के लिए नए बाजार भी खोले हैं.

कश्मीर के स्नो मटर अब दुनिया भर के स्वादिष्ट रेस्टोरेंट में इस्तेमाल होने वाली चीज है. इन मटर की बढ़ती मांग ने कश्मीर के किसानों को आर्थिक तौर पर बढ़ावा दिया है. साथ ही किसान अपने खेतों में निवेश करने और अपनी आजीविका में सुधार करने के काबिल हुए हैं. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात प्रोग्राम में इन तीनों का जिक्र किया है. ये सभी प्रोडक्ट्स अपने आप में सामुदायिक सशक्तिकरण की एक अनूठी कहानी बताते हैं. ये इस बात का उदाहरण हैं कि कैसे स्थानीय पहल विश्व भर में अपनी पहचान बना सकती है. 

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