RSS पर मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान पर राज्यसभा में भारी हंगामा, विपक्ष ने की अग्निवीर योजना को रद्द करने की मांग

Parliament Session: कांग्रेस प्रमुख और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार (1 जुलाई) को अग्निवीर योजना को खत्म करने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि 2024 के लोकसभा चुनावों में विपक्ष को दरकिनार कर दिया गया है। खड़ने सत्तारूढ़ पार्टी पर केवल नारे देने और विकास कार्य न करने का आरोप लगाया। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में कहा कि RSS की विचारधारा ने "हमारे संस्थानों पर कब्जा कर लिया है"। उनकी टिप्पणी के जवाब में बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने इसे कांग्रेस नेता का "बहुत गैर-जिम्मेदाराना" बयान बताया। साथ ही कहा कि इस टिप्पणी को हटा दिया जाना चाहिए।

राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ ने भी खड़गे के बयान पर आपत्ति जताई और कहा कि "इस हिस्से को हटा दिया गया है"। खड़गे ने कहा कि हमारे शिक्षण संस्थाओं पर पिछले 10 सालों में RSS और बीजेपी के लोगों ने कब्जा कर लिया है। इस पर आपत्ति जताते हुए सभापति धनखड़ ने कहा कि आपके इस बयान को एक्सपंज करता हूं और इसका कारण भी बताता हूं।

राज्यसभा सभापति ने कहा कि क्या किसी संस्था का सदस्य होना अपराध है? अगर कोई RSS का सदस्य है तो वह कोई अपराध है क्या? उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे ज्यादा उनमें योग्यता देख सकते हैं आप... नथिंग विल गो ऑन रिकॉर्ड...इससे नाराज खड़गे ने कहा कि ये मनुवादी है। ये खतरनाक है। इस पर सभापति ने कहा- नथिंग विल गो ऑन रिकॉर्ड...।

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर उठाए सवाल

खड़गे ने राष्ट्रपति के अभिभाषण को 'घोर निराशाजनक' और केवल 'सरकार की तारीफों के पुल बांधने वाला' करार देते हुए कहा कि इसमें न तो कोई दिशा है और ना ही कोई दृष्टि है। उच्च सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर सोमवार को चर्चा में हिस्सा लेते हुए खड़गे ने नीट-यूजी परीक्षा की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच, जाति आधारित जनगणना कराने और अग्निवीर योजना को रद्द करने की मांग की।

इसके साथ ही उन्होंने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों को उल्लेख किया और कहा कि चुनावों में देश का संविधान और जनता सब पर भारी रहे और संदेश दिया कि लोकतंत्र में अहंकारी ताकतों को कोई जगह नहीं है।

उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति का अभिभाषण की विषय-वस्तु सरकारी होती है। सरकारी पक्ष को इसे दृष्टि पत्र बनाना था और यह बताना था कि चुनौतियों से कैसे निपटेंगे लेकिन उसमें ऐसा कुछ नहीं है।" राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पहले अभिभाषण का जिक्र करते हुए खड़गे ने कहा कि वह 'चुनावी' था और दूसरा उसी की प्रति जैसा है।

कांग्रेस प्रमुख ने कहा, "इसमें ना कोई दिशा है, ना ही कोई दृष्टि है। हमें भरोसा था कि राष्ट्रपति संविधान और लोकतंत्र की चुनौतियों पर कुछ बातें जरूर रखेंगी, सबसे कमजोर तबकों के लिए कुछ ठोस संदेश देगी लेकिन हमें घोर निराशा हुई कि इसमें गरीबों, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के लिए कुछ भी नहीं है।"

'तारीफों के पुल बांधने वाला अभिभाषण'

उन्होंने कहा, "पिछली बार की तरह यह केवल तारीफों के पुल बांधने वाला अभिभाषण है।" नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अभिभाषण में बुनियादी मुद्दों को नजर अंदाज किया गया है, विफलताओं को छुपाया गया है, जिसमें यह सरकार माहिर है। राष्ट्रपति के अभिभाषण में सबको साथ लेकर चलने की बात का जिक्र करते हुए खड़गे ने कहा कि इस भाव से किसी को इनकार नहीं हो सकता लेकिन 10 साल का विपक्ष का तजुर्बा यह है कि यह बातें भाषणों तक ही सीमित रही है और इनका जमीन पर अमल नहीं हुई तथा उल्टा हुआ।

उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में ग्रामीण मतदाताओं ने अधिक उत्साह से भाग लिया लेकिन शहरों में पढ़े लिखे और पैसे वाले लोग इसमें पीछे रहे। उन्होंने कहा, "प्रजातंत्र में प्रजा ही मालिक है। देश के इतिहास में यह पहला चुनाव था, जिसमें संविधान की रक्षा मुद्दा बना। भाजपा ने 400 पर का नारा दिया और उसके कई नेताओं ने तो यहां तक कहा कि भाजपा संविधान बदलेगी।"

खड़गे ने कहा कि इस वजह से I.N.D.I.A. गठबंधन को संविधान बचाने की मुहिम चलानी पड़ी। उन्होंने आरोप लगाया कि अब भी सामाजिक न्याय के विपरीत मानसिकता वाले लोग देश में मौजूद हैं और यह लड़ाई तभी पूरी होगी जब ऐसी विचारधारा को उखाड़ फेंका जाए।

उन्होंने कहा, "इसके लिए हम सबको भी मेहनत करनी पड़ेगी। इस चुनाव की एक खूबी यह भी है कि जनादेश के डर से सत्ताधारी दल के लोग संविधान का जप कर रहे हैं। ऐसे लोग भी हैं जिनको संसद में जय संविधान के नारे पर भी आपत्ति है। ऐसे लोग भी सदन में हैं, ऐसी पार्टी भी सदन में है। इसीलिए संविधान की रक्षा का मसला अभी भी कायम है।"

ये भी पढ़ें- 'मेरा नियंत्रण नहीं होता...': राहुल गांधी का 'माइक बंद' करने के कांग्रेस के आरोपों पर स्पीकर ओम बिरला का पलटवार

खड़गे ने कहा कि भारत की जनता ने इनकी असली मंशा, सोच और इरादों को परख लिया है इसीलिए संविधान माथे पर लगाने से काम नहीं चलेगा बल्कि इसके मूल्य पर आपको चलकर दिखाना होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि बीते एक दशक में संसदीय संस्थाओं और लोकतांत्रिक परंपराओं को लगातार कमजोर किया गया और विपक्ष को नजर अंदाज किया गया है और यहां तक कि संसद में विपक्ष को अपनी बातें रखने के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ा।

2024-07-01T08:27:28Z dg43tfdfdgfd