KK PATHAK NEWS: स्कूलों का फंड, केके पाठक का ड्रीम प्रोजेक्ट... प्रिंसिपल-इंजीनियर के फर्जी सिग्नेचर और करोड़ों रुपये ले उड़ी 'घोटाला चौकड़ी'

किशनगंज: जिले के शिक्षा विभाग में बड़ी गड़बड़ी पकड़ी गई है। इसके बाद, किशनगंज डीएम तुषार सिंगला की अनुशंसा पर बिहार शिक्षा विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए वर्तमान और पूर्व जिला शिक्षा पदाधिकारी, दो जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों सहित छह को निलंबित कर दिया है। मामला किशनगंज जिले में बेंच डेस्क योजना, विद्यालय जीर्णोद्धार, प्री फैब स्ट्रक्चर निर्माण,लैब की स्थापना,नाइट गार्ड की बहाली,पेयजल योजना और हाउसकीपिंग योजना के तहत वेंडर चयन और भुगतान में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का है। शक है कि स्कूलों के चमकाने वाले पैसों की बंदरबांट कर ली गई।

छात्रों की हकमारी कर करोड़ों का किया वारा न्यारा

बिहार के स्कूलों की दशा और दिशा बदलने का लक्ष्य लेकर बिहार शिक्षा विभाग के पूर्व अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने स्कूलों और छात्र छात्राओं के लिए कई अहम निर्णय लिए थे।इन निर्णयों में स्कूल और छात्र छात्राओं को कई तरह की सुविधा देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किये गए।किन्तु जिले के उच्चाधिकारी गरीब बच्चों को इन सुविधाओं से वंचित कर अपना घर भरने में जुट गए।

इन अफसरों पर लगा बड़ा आरोप

जब इन कारनामों की भनक किशनगंज डीएम तुषार सिंगला को लगी तो उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में जांच कमिटी गठित कर दी।जांच में भारी अनियमितता सामने आई।जिसके बाद 21 जून को डीएम ने राज्य सरकार को जांच कमिटी की रिपोर्ट भेजकर दोषियों पर कार्रवाई की अनुशंसा की।जिसके बाद शिक्षा विभाग ने किशनगंज जिले के चार अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है। निलंबित किये गये अधिकारियों में दो जिला शिक्षा पदाधिकारी भी शामिल हैं। सरकारी आदेश के मुताबिक किशनगंज के पूर्व जिला शिक्षा पदाधिकारी सुभाष कुमार गुप्ता, वर्तमान जिला शिक्षा पदाधिकारी मोतिउर रहमान, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) राजेश कुमार सिन्हा और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी(सर्व शिक्षा) सूरज कुमार झा को निलंबित कर दिया गया है। इन सभी अधिकारियों पर सरकारी स्कूलों के लिए सामान खरीद में गड़बड़ी का आरोप है।किशनगंज के पूर्व जिला शिक्षा पदाधिकारी सुभाष कुमार गुप्ता फिलहाल गोपालगंज के जिला शिक्षा पदाधिकारी हैं।उन पर भी गाज गिरी है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ के आदेश के बाद निदेशक (प्रशासन) सुबोध कुमार चौधरी की ओर से निलंबन का पत्र जारी किया गया है।

ऐसे हुआ पूरे गड़बड़झाले का खुलासा

केके पाठक ने शिक्षा विभाग का ACS रहते सरकारी स्कूलों को बेहतर और बढ़िया रूप देने के लिए पूरे कायाकल्प का खाका खींचा था। इसके बाद सरकार ने स्कूलों के लिए भारी भरकम रकम अलॉट की थी। लेकिन इसी बीच किशनगंज के डीएम को फंड में गड़बड़ी का शक हुआ। इसके बाद किशनगंज के जिलाधिकारी ने सरकारी स्कूलों में सामान खरीद से लेकर शिक्षा विभाग की दूसरी योजनाओं में गड़बड़ी को लेकर राज्य सरकार को 21 जून 2024 को विस्तृत रिपोर्ट भेजी। डीएम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शिक्षा विभाग की योजनाओं के कार्यान्वयन में बरती गई अनियमितता की जांच के लिए उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई गई थी। इस जांच कमेटी ने पूरी पड़ताल के बाद अपनी रिपोर्ट दी है। जांच टीम ने पाया कि किशनगंज जिले में बेंच डेस्क योजना, विद्यालय जीर्णोद्धार, प्री फैब स्ट्रक्चर निर्माण, लैब की स्थापना, नाइट गार्ड की बहाली, पेयजल योजना और हाउसकीपिंग योजना के तहत वेंडर चयन और भुगतान में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई। नियमों को तो ताक पर ही रख दिया गया।

घोटाले का मास्टरमाइंड कौन?

वहीं सूत्रों के अनुसार तो जांच रिपोर्ट में पूर्व डीईओ सुभाष गुप्ता और डीपीओ सूरज कुमार झा को इस घोटाले के मास्टर माइंड के रूप में बताया गया है। वर्तमान डीईओ मतीउर रहमान ने भी इस भ्रष्टाचार की गंगोत्री को रोकने की कोशिश नहीं की। उनकी भी संलिप्तता इसमें सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक प्रिंसिपल, इंजीनियर आदि के फर्जी हस्ताक्षर कर अवैध निकासी की गई। सूत्रों का कहना है कि कई सफेदपोश शिक्षा विभाग के वेंडर बनकर करोड़ों रुपयों की बंदरबांट करने में कामयाब हो गए। ज्यादातर स्कूलों में डेस्क बेंच नहीं पहुंचे और यदि कहीं पहुंचे भी तो बेहद घटिया क्वालिटी के।

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2024-07-03T06:00:47Z dg43tfdfdgfd