GOAT FARMING: इंग्लैंड की नौकरी छोड़ गांव में चराने लगे बकरी

बुलंदशहर के सेगली गांव के रहने वाले वाले मुनिंदर सिंह इंग्लैंड में मोटे पैकेज वाली नौकरी छोड़कर वापस अपने घर लौट आए हैं। एमबीए करने के बाद वह इंग्लैंड में एक गोल्फ क्लब में नौकरी कर रहे थे। जिस समय उस नौकरी को छोड़ा तब सीनियर मैनेजर के पद पर 28 लाख रुपये का पैकेज था। अपने देश वापस आने के बाद उन्हें बकरी पालन के बारे में जानकारी मिली और उन्होंने इसका प्रशिक्षण लिया। जून, 2015 में 12 बकरी और एक बच्चे के साथ फार्म शुरू किया। वर्ष 2017 तक तो ऐसे हालात थे कि खुद बकरियों को चराने ले जाते थे। वर्ष 2020 तक वह समझ चुके थे कि यह असंगठित क्षेत्र है। यदि इस काम को व्यवस्थित तरीके से किया जाए तो अपार संभावनाएं हैं। अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। तब नए तरीके से काम शुरू किया, जिससे फायदा होने लगा। अब तो 2023 में अपनी कंपनी भी बना ली है।

ब्रीडिंग यूनिट के मॉडल को अपनाया

मुनिंदर ने गोट फार्मिंग में ब्रीडिंग यूनिट का मॉडल अपनाया है। मतलब वह अच्छी नस्ल के बकरे, बकरियां तैयार करके बेचते हैं। मुनिंदर बताते हैं, कोई बकरीद के लिए बकरा तैयार करके बेचता है तो डेढ़ साल में 20-30 हजार रुपये में बिकेगा। जबकि, इसकी जगह अच्छी नस्ल का ब्रीडर बकरा तैयार किया जाए तो एक लाख रुपये तक बिक सकता है। मीट से कहीं ज्यादा ब्रीडर की कीमत है। जब कोई नया फार्म शुरू करता है तो कम से कम 20 से 25 पशुओं का लॉट उठाता है। एक की कीमत 12 से 15 हजार रुपये होती है। इस तरह, करीब तीन-साढ़े तीन लाख रुपये मिल जाते हैं। 

घी और खाद से भी आमदनी

मीट के अलावा अन्य चीजों पर ध्यान दें तो बकरी पालन से काफी अच्छी आमदनी हो सकती है। मुनिंदर बताते हैं, बकरी की मेंगन से भी केंचुआ खाद तैयार कर सकते हैं। यह गाय के गोबर से बनी खाद से अच्छी होती है। इससे तैयार खाद में नाइट्रोजन की मात्रा तीन गुना से अधिक होती है। फॉस्फोरस भी अधिक होता है। इस खाद के इस्तेमाल से जमीन की उर्वराशक्ति बेहतर होती है। इसके अलावा, बकरी का दूध सीधे न बेचकर, उससे घी तैयार करके बेचते हैं। यह घी तीन हजार रुपये प्रति किलो बिकता है। बड़े फार्म में काफी घी तैयार होता है। इसके सेवन से शरीर में श्वेत रक्त कोशिकाएं बढ़ती हैं, जिससे रोगों से लड़ने की क्षमता बेहतर होती है। अभी इस मार्केट को छुआ तक नहीं गया है।

15-20 करोड़ के टर्नओवर का लक्ष्य

मुनिंदर के यहां अब 450 बकरे-बकरी हैं। अब तक नौ नस्लों पर काम कर चुके हैं। इनमें जमुना पारी, बर्बरी, पंजाब की बीटल, राजस्थान की सिरोही, सोजत, तोतापरी आदि शामिल हैं। मुनिंदर ने बताया कि एक और यूनिट बनकर तैयार हो गई है। इसमें 550 बकरे-बकरी रखे जाएंगे। अब तीसरी यूनिट तैयार करने जा रहे हैं। वर्ष 2023-24 में करीब पौने छह करोड़ रुपये का टर्नओवर था। इस वित्तीय वर्ष में 15 से 20 करोड़ के टर्नओवर का लक्ष्य रखा है।

बकरे-बकरी का जीवन बीमा

मुनिंदर बताते हैं, हम अपने किसी भी बकरे-बकरी को कटने के लिए नहीं बेचते। सभी का जीवन बीमा कराया है। तीन महीने से ऊपर के किसी भी बकरे-बकरी का 15000 तक बीमा होता है। इसके लिए करीब एक हजार रुपये प्रीमियम देना पड़ता है। 

2024-06-30T06:13:51Z dg43tfdfdgfd