GANGA DUSSEHRA 2024: उज्‍जैन में गंगा दशहरा पर पेशवाई में दिखा सिंहस्थ महाकुंभ जैसा नजारा

नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। धर्मधानी उज्जैन में ज्येष्ठ शुक्ल दशमी पर रविवार को अमृत सिद्धि योग में गंगा दशहरा मनाया गया। शुरुआत ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में भगवान महाकाल के नृत्यार्चन से हुई।

रसराज प्रभात नृत्य संस्थान के 120 कलाकार ने भस्म आरती के बाद नृत्य प्रस्तुति दी। यह रात 11 बजे शयन आरती तक सतत चली।

नीलगंगा स्थित जूना अखाड़ा से निकली साधु संतों की पेशवाई में सिंहस्थ सा नजारा देखने को मिला। शिप्रा तट, विष्णु सागर, गंगा घाट तथा गायत्री शक्तिपीठ में भी उत्सवी छटा बिखरी।

श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा नीलगंगा से सुबह 7.30 बजे साधु संतों की पेशवाई प्रारंभ हुई। जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय सचिव महंत रामेश्वर गिरी महाराज एवं महंत देवगिरी महाराज के अनुसार पेशवाई में साधु संत घोड़े, बैंड बाजे, निशान के साथ शस्त्र कला का प्रदर्शन करते हुए निकले।

इसके बाद सभी संत एवं भक्तों ने नीलगंगा सरोवर में स्नान किया। स्नान पश्चात मां नीलगंगा का पंचामृत अभिषेक किया गया।

मुख्यमंत्री ने चांदी के सिक्के से किया जूना अखाड़ा के देवताओं का पूजन

नीलगंगा स्थित श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा में आयोजित गंगा दशहरा उत्सव में रविवार सुबह मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव भी शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने चांदी का सिक्का रखकर जूना अखाड़ा के देवताओं का पूजन किया। पश्चात नीलगंगा सरोवर का दूध से अभिषेक कर पूजा अर्चना की तथा सरोवर के जल का आचमन किया।

मुख्यमंत्री ने परिसर स्थित गंगा माता का पंचामृत अभिषेक पूजन भी किया। अखाड़े में साधु संतों ने मुख्यमंत्री को चांदी का शिवलिंग भेंट कर सफल एवं यशस्वी जीवन का आशीर्वाद प्रदान किया। मुख्यमंत्री गंगा दशहरा पर निकली साधु संतों की पेशवाई में भी अखाड़े के बाहर तक शामिल हुए।

शिप्रा तीर्थ परिक्रमा यात्रा का समापन, सीएम ने किया पूजन व अभिषेक

गंगा दशहरा पर्व पर निकाली 55 किलोमीटर लंबी शिप्रा तीर्थ परिक्रमा यात्रा का समापन रविवार शाम 5 बजे दत्त अखाड़ा घाट पर हुआ। मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव ने यात्रा का स्वागत कर शिप्रा पूजन किया और शिप्रा को चुनरी ओढ़ाई। जल संरचनाओं को अतिक्रमण और प्रदूषण से बचाने, जल भंडारण क्षमता बढ़ाने और जल का सदुपयोग करने का संकल्प दिलाया।

पानी की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए उज्जैन की पवित्र नदियों और पौराणिक महत्व के प्राचीन सप्त सागरों के 100 साल पुराना इतिहास, वर्तमान और भविष्य पता कर 250 पेज की प्रकाशित पुस्तक ‘शिप्रा अमरता का आह्वान’ का विमोचन किया।

शिप्रा अमृतसंभवा, संदानीरा, शिप्रा तीर्थ परिक्रमा पुस्तक सहित आडियो-वीडियाे सीडी का विमोचन भी किया। नारदीय कीर्तन एवं श्री हरिकथा के माध्यम से श्रीनाथ परंपरा के प्रचार-प्रसार के अद्वितीय प्रयासों के लिए संत श्री बालकृष्ण वासुदेव नाथ ढोली बुआ महाराज, जल को संरक्षित करने के उद्देश्य से स्वयं के वित्तीय संसाधनों द्वारा शिप्रा नदी किनारे निर्माण कार्य के लिए सीता बाई, मां शिप्रा और मानव सेवा करने के लिए दीपक कहार को सम्मानित किया।

मथुरा के स्वामी शरणानंद महाराज का उद्बोधन हुआ। जल संबंधी जनपदीय गीतों का गायन हुआ। कार्यक्रम महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ की ओर से किया गया था। कार्यक्रम में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, सांसद अनिल फिरोजिया, राज्यसभा सदस्य बालयोगी उमेशनाथ महाराज उपस्थित थे।

ऋचा शर्मा ने सुनाए प्रसिद्ध भजन..श्रोता झूमे

कार्यक्रम की सांझ मुंबई की प्रसिद्ध पार्श्व गायिका ऋचा शर्मा के गीतों से सुरमयी हुई। ऋचा शर्मा ने एक से बढ़कर एक भजन सुनाए, जिस पर श्रोता देर तक झूमे-नाचे और साथ गुनगुनाए भी।

2024-06-16T06:58:45Z dg43tfdfdgfd