Muharram 2024 Date: मुस्लिम समुदाय में मुहर्रम का विशेष महत्व है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, मुहर्रम से ही पहले महीने का आरंभ होता है। मान्यता है कि रमज़ान के महीने के बाद सबसे अच्छा रोज़ा मुहर्रम का होता है। बता दें कि इसकी तारीख का निर्धारण चांद दिखने के बाद ही किया जाता है। इसलिए इसकी तिथि हर साल बदलती रहती है। दुनियाभर के मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन को को खूब मनाते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल कब है मुहर्रम? साथ ही जानें यौम-ए-आशूरा के बारे में सबकुछ…
इस्लामी कैलेंडर के अनुसार ये पहला महीना होता है। यह कैलेंडर 12 चंद्र महीनों पर आधारित है। नए चांद दिखने के साथ ही एक नए महीने की शुरुआत तय हो जाती है। बता दें कि इस बार मुहर्रम 7 जुलाई 2024 से आरंभ हो रही है।
आशूरा मुहर्रम के 10वें दिन मनाया जाता है। इसे इस्लामी वर्ष के सबसे पुण्य दिनों में से एक माना जाता है। इसके साथ ही आशूरा का दिन कर्बला की लड़ाई में इमाम हुसैन की शहादत भी हुई थी, हुसैन पैंग़ंबर हज़रत मोहम्मद के नवासे थे। इस साल आशूरा 16 या फिर 17 जुलाई को मनाया जाएगा। हालांकि, आशूरा की सही तारीख स्थान और मुहर्रम 1446 के चांद के दिखने पर निर्भर करती है।
बता दें कि मुहर्रम को अल्लाह द्वारा निर्धारित चार पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के 61 वें वर्ष में दसवें मुहर्रम (अशूरा का दिन) को कर्बला की लड़ाई हुई थी, जिसके दौरान पैगंबर के नवासे इमाम हुसैन को बेरहमी से शहीद कर दिया गया था। मुहर्रम का महीना मुसलमानों के लिए धार्मिक और ऐतिहासिक दोनों ही दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना भी है, जो मुसलमानों के मदीना में हिजरा (प्रवास) और 622 ई. में पहले इस्लामी राज्य की स्थापना का प्रतीक है।
इस्लामी कैलेंडर में 12 महीने होते हैं, जिसमें से 4 सबसे पवित्र माने जाते हैं। ये क्रमशः ज़ुल-का’दा, ज़ुल-हिज्जा और मुहर्रम और चौथा रजब है। ऐसे में अल्लाह की दया और कृपा पाने का सबसे अच्छा महीना माना जाता है। हर एक दिन सवाब पाने का असर सबसे अधिक होता है। इस महीने के दौरान रोज़ा रखने के साख कुरान पढ़ना के साथ नियमित रूप से सद़का (दान) करना अच्छा माना जाता है। इससे अल्लाह का आशीर्वाद पूरे साल बना रहता है।
मुहर्रम में रोज़ा रखना काफी पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन उपवास रखना चाहे, तो रख सकते हैं और छोड़ना चाहे,तो छोड़ सकते हैं। मुहर्रम को लेकर शिया और सुन्नी दोनों ही समुदाय की अलग-अलग मान्यताएं है। जहां सुन्नी समुदाय के लोग 9 और 10वीं तारीख को रोज़ा रखते हैं, तो वहीं शिया समुदाय के लोग 1 से 9 तारीख के बीच में रोज़ा रखते हैं। इसके बाद 10वीं तारीख को यौम-ए-आशूरा के दिन रोज़ा नहीं रखते हैं, क्योंकि इसे हराम माना जाता है।
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