हाथरस अस्पताल में रोते-बिलखते परिवार, बर्फ पर पड़े शव, भगदड़ में बचे लोगों ने याद किया ‘भयानक मंज़र’

हाथरस: हाथरस के बागला अस्पताल में मंगलवार को मची भगदड़ में मारे गए लोगों के शव बर्फ की सिल्लियों पर रखे हुए हैं. कर्मचारी शवों को पोस्टमार्टम के लिए एंबुलेंस में भेजने में तेज़ी से जुटे हुए हैं.

अस्पताल में लोगों की भीड़ लगी हुई है, ज्यादातर परिवार अपने प्रियजनों की तलाश में हैं और जानकारी के लिए पुलिस और डॉक्टरों से संपर्क कर रहे हैं.

कमलेश बाहर बैठी हैं और बेकाबू होकर रो रही हैं. वे अपनी बेटी के साथ सत्संग में आईं थीं, जो पहली बार यहां आई थी. भगदड़ में 17-वर्षीया (बेटी) की मौत हो गई.

दोनों अपने गांव से एक वाहन में सवार होकर ‘बाबा जी’ के दर्शन के लिए निकले थे. जब वे कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे तो कमलेश की बेटी उनसे पहले ही उतर गई और वे अलग हो गए.

कमलेश ने कहा, “भगदड़ के बाद हमने उसे हर जगह ढूंढा, लेकिन वो नहीं मिली. जब हम अस्पताल पहुंचे तो हमें उसका शव यहां मिला.”

फुलरई गांव में स्वयंभू प्रवचनकर्ता नारायण सरकार हरि उर्फ ​​भोले बाबा द्वारा आयोजित सत्संग में मंगलवार को मची भगदड़ में कम से कम 121 लोगों की मौत हो गई, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल थे. कई अन्य घायल हो गए.

मंगलवार देर रात सिकंदराराऊ थाने में सेवादार देव मथुकर और अन्य अज्ञात आयोजकों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (हत्या), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा) और 238 (साक्ष्यों को मिटाना) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. मैनपुरी में भोले बाबा की तलाश में पुलिस का सर्च ऑपरेशन जारी है.

एफआईआर में कहा गया है कि आयोजकों ने 80,000 लोगों की भीड़ के लिए अनुमति मांगी, जबकि यह तथ्य छिपाया गया कि पिछले आयोजनों में लाखों लोग जुटे थे. मंगलवार को विभिन्न जिलों और पड़ोसी राज्यों से करीब 2,50,000 श्रद्धालु जुटे थे.

हाथरस के बागला अस्पताल में भगदड़ में मारे गए लोगों के शव बर्फ की सिल्लियों पर रखे हैं | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

भगदड़ में बचे लोगों ने दिप्रिंट से बात करते हुए बताया कि भोले बाबा करीब दो दशक से इलाके में काफी सक्रिय हैं. वे हर महीने अलग-अलग जगहों पर सत्संग करते हैं और लोग दूर-दूर से सत्संग सुनने आते हैं.

बागला अस्पताल के पीएम केयर्स वार्ड में सत्संग में शामिल नौ लोगों का इलाज चल रहा है. इनमें जाटव समुदाय से ताल्लुक रखने वाली 40-वर्षीया सुनीता भी शामिल हैं. वे अमौसी गांव की रहने वाली हैं, जहां से लोगों से भरी तीन गाड़ियां सत्संग के लिए रवाना हुईं. हर गाड़ी में करीब 9 यात्री सवार थे.

हाथरस के बागला अस्पताल में घायलों का इलाज चल रहा है | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

हालांकि, लोग यह नहीं बता पा रहे हैं कि भगदड़ की असली वजह क्या थी.

सुनीता पिछले नौ सालों से भोले बाबा की पूजा कर रही हैं. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “मेरे पड़ोस की महिलाओं ने मुझे बताया कि बाबा सभी की परेशानियां दूर करते हैं. वह सकारात्मक बातें कहते हैं और सभी को उनका अनुसरण करना चाहिए.”

पिछले महीने उन्हें दो दिवसीय सत्संग के बारे में एक व्हाट्सएप वीडियो भेजा गया था. उनके परिवार की नौ महिलाएं इसमें शामिल हुई थीं. भोले बाबा के प्रवचन समाप्त होने के बाद सुनीता ने लोगों को घबराकर भागते देखा.

उन्होंने याद किया, “भीड़ ने मुझे धक्का दिया और मैं गिर गई. लोग असहाय होकर भाग रहे थे. कुछ लोग मेरे ऊपर चढ़ रहे थे. इस वजह से मुझे घुटन महसूस होने लगी और मैं बेहोश हो गई.”

सुनीता की भाभी ने उन्हें भीड़ द्वारा कुचले जाते हुए देखा, जिसके बाद उन्हें बाहर निकाला गया.

खेत में काम करके प्रतिदिन 200-300 रुपये कमाने वाली सुनीता याद करती हैं कि मंगलवार को अपने घंटे भर के प्रवचन के दौरान भोले बाबा ने इस बात पर जोर दिया था कि झूठ नहीं बोलना चाहिए, दूसरों के साथ सद्भाव से रहना चाहिए और हिंसा से बचना चाहिए. उन्होंने सबसे पहले सासनी में प्रवचन सुना था. उसके बाद से वे हर महीने उन्हें सुनने के लिए पटियाली जाती थीं. भोले बाबा, जिन्हें सूरज पाल के नाम से भी जाना जाता है, कासगंज जिले की पटियाली तहसील के बहादुर नगर गांव के हैं.

पास में बैठे सुनीता के भाई अनिल गुस्से में कहते हैं, “अगर बाबा के पास शक्तियां हैं, तो उन्होंने भगदड़ रोकने के लिए उनका इस्तेमाल क्यों नहीं किया?”

भगदड़ में मारे गए करीब 32 लोगों के शव इस अस्पताल में लाए गए हैं. इनमें से ज़्यादातर बुजुर्ग महिलाएं थीं.

ज़्यादातर पीड़ित महिलाएं थीं | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

घटना में घायल हुई 50-वर्षीया सावित्री का कहना है कि वे भोले बाबा के दर्शन करने के लिए अपने परिवार के आठ सदस्यों के साथ आई थीं. डॉक्टर ने बताया कि उनके सीने पर चोटें हैं. सावित्री का कहना है कि भगदड़ में उनकी भाभी की मौत हो गई.

उन्होंने कहा, “हमें नहीं पता था कि ऐसा कुछ होगा. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. वहां पुलिस भी मौजूद थी, लेकिन भीड़ बहुत ज़्यादा थी. बारिश के कारण कीचड़ था, जिससे लोग फिसल रहे थे.”

हाथरस के बागला अस्पताल के बाहर मंगलवार रात का दृश्य | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

नाम न बताने की शर्त पर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि सीमित संसाधनों और जगह की वजह से करीब 38 शवों को अलीगढ़ के जिला अस्पताल भेजा गया है.

बागला अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “अस्पताल में कुल 9 घायलों को भर्ती कराया गया है, जिनमें सभी महिलाएं हैं. उन्हें मामूली चोटें आई हैं. बुधवार को जांच के बाद उन्हें छुट्टी दे दी जाएगी.”

बाबा के खिलाफ गुस्सा

भगदड़ के बाद हाथरस में भोले बाबा के खिलाफ गुस्सा फूट रहा है. कई लोग इस बात से नाराज़ हैं कि पुलिस ने अभी तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया है.

अखिल भारतीय पुष्प महासभा नामक एक स्थानीय संगठन के अध्यक्ष रामू कुशवाहा ने कहा, “इस देश को अंधविश्वास पर नहीं बल्कि संविधान पर चलना चाहिए. आज एक बाबा ने इतने लोगों की जान ले ली है. पीएम मोदी को ऐसे धोखेबाज बाबाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.”

30-वर्षीया अरविंद ने कहा कि जब पुलिस को किसी गरीब व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने की ज़रूरत होती है, तो वे तुरंत ऐसा करते हैं, लेकिन धोखेबाज प्रचारकों के खिलाफ कुछ नहीं करते, जिनके कृत्यों ने लोगों की जान ले ली है.

बुधवार को सत्संग स्थल पर पीड़ितों का सामान एकत्र किया जा रहा है | फोटो: मनीषा मोंडल/ दिप्रिंटसिकंदराऊ राजमार्ग पर भोले बाबा का एक पोस्टर| फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

अरविंद ने आगे कहा, “अधिकारी सत्संग जैसे आयोजनों की अनुमति क्यों देते हैं? क्या प्रशासन को यह एहसास नहीं है कि ये धोखेबाज बाबा हैं? आज की घटना उनके कारण हुई है. हमें इसे हत्या कहना चाहिए.”

अरविंद ने आगे कहा कि वे सिकंदराऊ अस्पताल से एंबुलेंस में चार शवों को जिला अस्पताल लेकर आए. शवों को अलीगढ़, आगरा और एटा के जिला अस्पतालों में ले जाया जा रहा था, जो फुलरई गांव से 30-40 किलोमीटर दूर थे, जहां भगदड़ हुई थी.

उन्होंने कहा, “किसी मरीज को इलाज के लिए 40 किलोमीटर दूर भेजने से रास्ते में ही उसकी मौत हो जाती.”

हाथरस के एक अन्य अस्पताल में कुमारी रेखा देवी (32) अपनी मां को ढूंढ़ते हुए आंसू बहा रही हैं. उनका मानना ​​है कि भोले बाबा को दोष नहीं देना चाहिए, क्योंकि उन्होंने किसी को भी जल्दबाजी करने के लिए नहीं कहा. देवी कहती हैं कि बिहार और उत्तराखंड से भी लोग उन्हें सुनने आए थे.

उन्होंने कहा, “मैंने अनुभव किया है कि जब भी मुझे कोई समस्या आती है, तो भोले बाबा द्वारा दिए गए पानी को पीने से वो हल हो जाती है. मैं फिर से उनके सत्संग में जाऊंगी. जो लोग मर गए हैं, उन्हें वैसे भी मरना ही था. यह उनका भाग्य है.”

(इस ग्राउंड रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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