ZIKA VIRUS RESURFACES IN PUNE: पुणे में पहुंचा जीका वायरस... गर्भवती महिलाओं को रखना होगा खूब ख्याल, जानें और किन लोगों को है इससे बचने की जरूरत

जीका वायरस पश्चिमी भारत में फिर से उभर आया है. पुणे में इस साल के पहले दो मामले सामने आए हैं. एक स्थानीय डॉक्टर और उनकी बेटी में संक्रमण की पुष्टि हुई है. पिछले साल मुंबई में जीका वायरस का प्रकोप देखने को मिला था. बता दें, बरसात के मौसम में इस खतरनाक वायरस के होने का खतरा बढ़ जाता है. 

जीका वायरस एक मच्छर से पैदा होने वाला वायरस है. इसमें डेंगू और पीले बुखार के वायरस भी शामिल हैं. यह मुख्य रूप से संक्रमित एडीज मच्छरों, विशेषकर एडीज एजिप्टी, के काटने से फैलता है. हालांकि, सभी मच्छरों में जीका वायरस नहीं होता है, और संक्रमित मच्छर के काटे गए हर व्यक्ति को जीका वायरस नहीं होता है. 

गर्भवती महिलाओं को होता है खतरा 

जीका वायरस की पहचान सबसे पहले 1947 में युगांडा के जीका वन में हुई थी. दशकों तक, इसके बारे में लोगों को पता नहीं था. लेकिन फिर साल 2015 में अमेरिका, विशेषकर ब्राजील में महामारी फैलने के दौरान इसका पता लगा. इसमें सामने आया की जीका वायरस से गर्भवती महिलाओं और उनकी संतानों को गंभीर खतरा है. 

अंदर-बाहर दोनों जगह पनपते हैं मच्छर   

जीका एडीज मच्छर से फैलता है. ये मच्छर घर के अंदर और बाहर दोनों जगह पनपते हैं. हालांकि मुख्य रूप से ये दिन में काटते हैं. जीका वायरस के सबसे घातक पहलुओं में से एक इसकी लक्षणरहित प्रकृति है. लगभग 80% संक्रमित व्यक्तियों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं. इससे मामलों को सीधा पहचानने में परेशानी आती है. जिन लोगों में लक्षण दिखते हैं, वे आम तौर पर हल्के होते हैं और इसमें कई लक्षण शामिल हैं- 

-बुखार

-खरोंच

-जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द

-सिरदर्द

-लाल आंखें

ये लक्षण आमतौर पर संक्रमित मच्छर के काटे जाने के एक सप्ताह के अंदर ही दिखाई देते हैं. ये कई दिनों से लेकर एक सप्ताह तक बने रह सकते हैं.

ट्रांसमिशन के तरीके

जीका वायरस फैलने का प्राथमिक तरीका संक्रमित एडीज मच्छरों, मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस के काटने से होता है. ये मच्छर तब संक्रमित हो जाते हैं जब वे पहले से ही वायरस से ग्रस्त किसी व्यक्ति को काटते हैं और फिर अपने काटने के माध्यम से वायरस को दूसरे इंसानों तक पहुंचा सकते हैं. मच्छर के काटने के अलावा, जीका सेक्स, ब्लड ट्रांसफ्यूजन, या मां से बच्चे में ट्रांसमिट होता है. 

प्रेग्नेंसी पर पड़ता है प्रभाव

जीका वायरस इन्फेक्शन के साथ सबसे गंभीर चिंताओं में से एक प्रेग्नेंसी पर इसका प्रभाव है. वायरस पेट में पल रहे बच्चे को संक्रमित कर सकता है, जिससे माइक्रोसेफली जैसी बीमारी बच्चे को हो सकती है. इस स्थिति के साथ पैदा हुए शिशुओं का सिर और दिमाग छोटा होता है, जिससे उनका जल्दी विकास नहीं हो पाता है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं को, विशेष रूप से अपनी पहली तिमाही के दौरान, सतर्क रहने और वायरस के संपर्क से बचने की जरूरत है. इसलिए लिए नियमित अल्ट्रासाउंड जांच करवाएं. 

साथ ही, जीका वायरस संक्रमण को पहचानने का सबसे प्रभावी तरीका ब्लड या पेशब का रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमरेज चेन रिएक्शन (RT-PCR) टेस्ट है. लक्षणों की शुरुआत के बाद पहले सप्ताह के भीतर किए जाने पर यह परीक्षण सबसे सटीक होता है. 

मच्छर के काटने से कैसे बचें? 

जीका वायरस इन्फेक्शन को रोकने के लिए सबसे जरूरी है कि  मच्छरों का काटने रोकें. आप मच्छरों को भगाने वाली क्रीम लगा सकते हैं. इसमें DEET, पिकारिडिन, या नींबू नीलगिरी का तेल शामिल कर सकते हैं. इसके अलावा, मच्छर से दूर रहने के लिए आपको लंबी बाजू वाली शर्ट और लंबी पैंट पहनना चाहिए. साथ ही अपने घर के आसपास रुका हुआ पानी हटा दें. 

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