LNJP अस्पताल के नए बिल्डिंग ब्लॉक बनाने में गड़बड़ी! LG ने दिए जांच के आदेश

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के एलएनजेपी अस्पताल के नए बिल्डिंग ब्लॉक के निर्माण में भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हुए एलजी ने चीफ सेक्रेटरी को इसकी विजिलेंस जांच कराने के आदेश दिए हैं। उन्होंने सेंट्रल विजिलेंस कमिशन (CVC) से अनुरोध करके चीफ टेक्निकल एग्जामिनर्स की एक स्पेशल टीम बनाकर इस मामले की विस्तार से तकनीकी जांच करवाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है।

एलजी वी.के. सक्सेना ने कथित तौर पर प्रोजेक्ट के निर्माण के दौरान किए गए प्रक्रियाओं के उल्लंघन की वजह से सरकार पर बनी 670 करोड़ रुपये की अनधिकृत देनदारी की जांच के लिए अलग से एक चार सदस्यी कमिटी गठित करने का आदेश भी दिया है। इस कमिटी में दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (DTU) के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के एचओडी, इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी फॉर वुमन (IGDTUW) के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के एचओडी, नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NSUT) के स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग विभाग के एचओडी और एलएनजेपी को छोड़कर दिल्ली सरकार के किसी ऐसे अस्पताल के एमएस या एमडी को शामिल करने के लिए कहा गया है, जहां ऐसा कोई निर्माण कार्य चल रहा हो।

कमिटी की अध्यक्षता रिटायर्ड आईएएस अधिकारी बी.के. प्रसाद करेंगे। कमिटी को मामले की जांच करके दो महीने में रिपोर्ट सबमिट करनी है। कमिटी स्वास्थ्य विभाग के तहत दिल्ली में चल रहे अन्य कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स की भी जांच करेगी। जरूरत पड़ने पर किसी अन्य तकनीकी एक्सपर्ट को भी कमिटी में शामिल किया जा सकता है।

चीफ सेक्रेटरी को दिए गए आदेश में एलजी ने लिखा कि इस मामले के अध्ययन के दौरान उन्होंने पाया कि स्वास्थ्य विभाग ने इस परियोजना का जिम्मा पीडब्ल्यूडी को सौंपा था, जिसने आगे एक कंपनी को ठेका दे दिया था। सिविल वर्क की प्रारंभिक लागत 465.52 करोड़ रुपये और इलेक्ट्रिकल वर्क की लागत 136.77 करोड़ रुपये आंकी गई थी। काम 4 नवंबर 2020 से शुरू होना था और 30 महीने में पूरा किया जाना था। हालांकि, साढ़े तीन साल बाद भी काम की प्रगति केवल 64% है, जबकि प्रोजेक्ट की लागत 243% बढ़ गई है। यह बढ़ोतरी विभाग के इंजीनियरों के स्तर पर ही लागू कर दी गई, जबकि इसके लिए वित्त विभाग और कैबिनेट की मंजूरी ली जानी चाहिए थी।

एलजी ने कहा कि मुझे यह जानकर और भी आश्चर्य हुआ कि अब पीडब्ल्यूडी ने इस काम के लिए एक संशोधित प्राइमरी एस्टिमेट जारी किया है, जिसमें प्रोजेक्ट की अनुमानित राशि ढाई गुना बढ़ाकर 1135.55 करोड़ रुपये कर दी गई है। इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण बिल्डिंग के कवर्ड एरिया में 8.61% की बढ़ोतरी होना बताया गया है, जबकि संशोधित अनुमानित लागत में 143% की बढ़ोतरी की गई है, जो पहली नजर में अनुचित, समझ से परे और दुर्भावनापूर्ण लग रही है। ऐसे में इस मामले की गहन जांच जरूरी है।

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2024-07-03T04:16:50Z dg43tfdfdgfd