FRANCE PARLIAMENTARY ELECTIONS: अपनी मर्जी से करवाए गए चुनाव हार जाएंगे MACRON? जानिए क्या हैं फ्रांस के संसदीय चुनाव के समीकरण

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) ने 20 दिन पहले जब देश की संसद भंग करते हुए स्नैप इलेक्शन (Snap Elections) का ऐलान किया था तब उन्होंने यह नहीं सोचा होगा कि यह दांव उनपर उल्टा पड़ जाएगा. यूरोपीय यूनियन (EU) चुनाव में धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों के हाथों हारने के बाद मैक्रों ने संसदीय चुनावों की घोषणा यह सोचकर की थी कि इन पार्टियों की प्रवासन-विरोधी विचारधारा (Anti-immigration ideology) और यहूदी-विरोधी भावना (Anti-Semitism) का इतिहास मैक्रों की पार्टी के पक्ष में होगा. हालांकि ऐसा हुआ नहीं. पहले चरण के चुनाव के बाद उनकी पार्टी हार के बेहद करीब दिख रही है. 

क्या हैं फ्रांसीसी संसदीय चुनाव के समीकरण?

फ्रांस के मौजूदा संसदीय चुनाव में तीन गुट लड़ रहे हैं. पहला, प्रधानमंत्री गैब्रिएल अताल का सेंट्रिस्ट गुट, एन्सेंबल. दूसरा मरीन ल पेन (Marine Le Pen) की पार्टी नेशनल रैली (RN) की अगुवाई वाला धुर-दक्षिणपंथी गुट. और तीसरा, वामपंथी गठबंधन न्यू पॉपुलर फ्रंट (New Popular Front). संसदीय चुनावों के पहले चरण में आरएन ने मजबूत जीत हासिल की है.

अल जजीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, पोल्सटर्स आईएफओपी, इप्सोस और ओपीनियनवे जैसे कई एग्जिट पोल आरएन को करीब 34 प्रतिशत वोट दे रहे हैं. न्यू पॉपुलर फ्रंट को एग्जिट पोल में करीब 29 प्रतिशत वोट मिल रहे हैं, जबकि मैक्रों का सेंट्रिस्ट गठबंधन 'एन्सेंबल' (Ensemble Alliance) करीब 20.5 प्रतिशत वोट के साथ सबसे पीछे है. 

क्या होते हैं स्नैप इलेक्शन?

स्नैप इलेक्शन या आकस्मिक चुनाव वह चुनाव है जो निर्धारित समय से पहले कराया जाता है. संसदीय प्रणाली में आम तौर पर आकस्मिक चुनाव एक असामान्य चुनावी अवसर को भुनाने या किसी गंभीर मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए बुलाया जाता है. मैक्रों की पार्टी को यूरोपीय यूनियन के हालिया चुनाव में हार मिली थी. उन्हें उम्मीद थी कि मरीन ल पेन की पार्टी संसदीय चुनाव में अपना कारनामा नहीं दोहरा पाएगी, इसलिए उन्होंने 10 जून को ही संसद भंग कर दी. लेकिन पहले चरण के बाद उनकी पार्टी का संसद में जीतना मुश्किल लग रहा है. 

क्या कहते हैं एग्जिट पोल?

तमाम एग्जिट पोल पहले चरण में धुर-दक्षिणपंथी नेता मरीन ल पेन की पार्टी नेशनल रैली को बहुमत मिलने की बात कह रहे हैं. एलाबे एग्जिट पोल ने बीएफएम टीवी के लिए एक अनुमान में कहा है कि नेशनल रैली और उसके सहयोगी 7 जुलाई को दूसरे मतदान दौर में 260-310 संसद सीटें जीत सकते हैं, जबकि इप्सोस ने एक सर्वे में नेशनल रैली और उसके सहयोगियों के लिए 230-280 सीटें जीतने का अनुमान लगाया है. 

ल पेन और गठबंधन में उनके साथी जॉर्डन बार्डेला दोनों ने कहा है कि उनकी पार्टी फ्रांस की 577 सीटों की संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली में कुल 289 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत हासिल करेगी. 

मैक्रों की पार्टी का अगला कदम क्या होगा?

मैक्रों इस समय फ्रांस के राष्ट्रपति हैं और 2027 तक इसी पद पर बने रहेंगे. हालांकि देश के संविधान के तहत वह तीसरी बार इस पद के लिए नहीं लड़ सकते और बतौर राष्ट्रपति उनका कार्यकाल इसी के साथ खत्म हो जाएगा. लेकिन संसदीय चुनावों में हार उनकी पार्टी के लिए बड़ा झटका साबित हो सकती है. दूसरे चरण के चुनाव सात जुलाई को होने हैं. 

यह बहुत हद तक संभव है कि सेंट्रिस्ट और वामपंथी पार्टियां धुर-दक्षिणपंथी समूह को सत्ता में आने से रोकने के लिए हाथ मिला लें. इससे पहले भी फ्रांस की सेंट्रिस्ट और लेफ्टिस्ट पार्टियों ने साथ आकर संसद में सत्ता हासिल की है. पहले चरण में करारी शिकस्त के बाद मैक्रों ने इस ओर इशारा भी किया. उन्होंने एक बयान में कहा, "राष्ट्रीय रैली का सामना करते हुए, दूसरे दौर के लिए व्यापक, स्पष्ट रूप से लोकतांत्रिक और रिपब्लिकन गठबंधन बनाने का समय आ गया है." 

वामपंथी न्यू पॉपुलर फ्रंट का नेतृत्व करने वाले जॉन-ल्यूक मेलॉनशॉन ने भी मैक्रों के शब्दों का समर्थन किया है. उन्होंने कहा है कि वह संसदीय चुनावों के पहले दौर में तीसरे स्थान पर रहने वाले अपने उम्मीदवारों को वापस ले लेंगे. ताकि दो-घोड़ों की दौड़ सुनिश्चित की जा सके और आरएन उम्मीदवारों को हराया जा सके. उन्होंने कहा है, "हमारे सिद्धांतों और पिछले सभी चुनावों में हमारे रुख के अनुरूप, हम नेशनल रैली को कभी भी जीत हासिल नहीं करने देंगे." 

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