ZIKA VIRUS: क्या है जीका वायरस, आखिर क्यों मचा है हड़कंप, जानें युगांडा के जंगलों से क्या है इसका नाता

एक जुलाई को दो प्रग्नेंट महिलाओं के संक्रमित होने के बाद महाराष्ट्र के पुणे में जीका वायरस के मरीजों की संख्या बढ़ कर 11 हो गई है. इससे पहले 21 जून को वहां तब पहला मरीज मिला था, जब एक डॉक्टर इस संक्रमण का शिकार हो गए थे, उसके बाद उनकी भी बेटी इस वायरस के गिरफ्त में आ गई.

जीका वायरस के बढ़ते मामले को देखते हुए पुणे का स्वास्थ्य विभाग सजग हो गया है, और  पूरी स्वास्थ्य प्रणाली इस संक्रमण के रोकथाम के प्रयास में जुट गई है. स्वास्थ्य विभाग संक्रमित इलाके से लोगों के सैंपल ले रहा है और साथ ही पूरे इलाके में दवाओं का छिड़काव भी कर रहा है. वायरस के बढ़ते मामलों के बीच जीका वायरस क्या है, इसकी उत्पत्ति कहां से हुई, ये सवाल भी लोगों के बीच घुमड़ रहा है.

कब आया वायरस

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार जीका वायरस सबसे पहले 1947 पूर्वी अफ्रीका के देश युगांडा में मिला था, इसका नाम करण भी युगांडा के जंगलों के नाम पर ही किया गया है. उसी समय पहली बार जंगल के बंदरों को आइसोलेट किया गया था. इसके बाद साल 1952 में  जीका वायरस ने युगांडा और तंजानिया के लोगों को अपने चपेट में ले लिया था, ये इंसान की कोशिकाओं में वायरस की पहली दस्तक थी. इसके बाद इस वायरस से जुड़े मामले और भी देशों में मिलने लगे और धीरे इस बीमारी का विस्तार हो गाया. 

भारत में आमद 

साल 1952 में जब जीका वायरस जंगलों से निकल कर युगांडा और तंजानिया के लोगों के बीच फैलने लगा, कमोबेश उसी समय वायरस की आमद भारत में भी हुई, जीका यहां 1952 में प्रवेश कर गया था, जिसका फैलाव समय के साथ बढ़ता चला गया. 2007 के बाद जीका से हो रहे संक्रमण के मामले में बड़ा विस्फोट हुआ और ये अफ्रीका, अमेरिका, एशिया और प्रशांत क्षेत्र के में  तेजी से बढ़ने लगा. अभी कुछ साल पहले ही भारत के दक्षिण राज्यों, केरल और कर्नाटक में जीका के मामले देखने को मिले थे. वहीं साल 2017 में गुजरात के अहमदाबाद में और तिमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले में इसके मरीज मिले थे.

क्या है जीका वायरस

ये एडीज मच्छरों (विशेष प्रकार के मच्छर) से फैलने वाली एक बीमारी है, इसे मच्छर जनित फ्लेविवायरस भी कहा जाता है. जो की मानव शरीर की कोशिकाओं का ही इस्तेमाल कर के अपने आकार का विस्तार करता है. कुछ लोगों में इस बीमारी के लक्षण प्रभावित होने के बहुत दिनों बाद नजर आते हैं. साथ ही ज्यादा तर लोगों को संक्रमित होने के बाद भी इस बात का एहसास नहीं होता है कि वे जीका वायरस की चपेट में आ गए हैं.

ये बीमारी सबसे अधिक गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करती है, इस बीमारी का असर भ्रूण पर हो सकता है. इस वायरस की वजह से भ्रूण के मस्तिष्क का विकास में पूरी तरह से नहीं हो पता है. साथ ही ज़ीका वायरस में एक RNA जीनोम पाया जाता है, जिसके कारण उत्परिवर्तन जमा करने की क्षमता अधिक होती है. इसके अलावा इसके लक्षण बच्चे के जन्म के समय भी देखने को मिल सकता है. उनके दिमाग का विकास नहीं होना, आंखों की रोशनी कम होना जैसे कुछ और सिम्प्टम देखने को मिल सकते हैं.

इसके लक्षण

इस वायरस के लक्षण आमतौर पर मुखर नहीं होते हैं ज्यादा तर लोग तो इसके संकेत से ही अंजान रहते हैं.  लोग इस बीमारी के शिकार तो होते हैं, लेकिन फिर भी कोई संकेत नहीं दिखने के कारण इससे अनभिज्ञ रहते हैं. वैसे इस वायरस के प्रभाव से प्रत्यक्ष लक्षण भी हैं, जैसे बुखार, जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में दर्द तथा दो से सात दिनों तक रहने वाला सिरदर्द हो सकता है.

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2024-07-02T09:52:54Z dg43tfdfdgfd