JHARKHAND NEWS: टेंडर कमीशन घोटाले में ED का एक्शन जारी! जब्त की 4.42 करोड़ की अचल संपत्ति

राज्य ब्यूरो, रांची। Tender Commission Scam टेंडर के वर्क ऑर्डर आवंटन में कमीशन घोटाला मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच कर रही ईडी ने पूर्व मंत्री आलमगीर आलम (Alamgir Alam) के निजी सचिव संजीव लाल (Sanjeev Lal), उनकी पत्नी रीता लाल व नौकर जहांगीर आलम (Jahangir Alam) की 4 करोड़ 42 लाख 55 हजार की संपत्ति जब्त कर ली है।

अस्थाई रूप से जब्त इन संपत्तियों के मामला अब एडजुकेटिंग अथारिटी के पास गया है, जहां से 180 दिनों में फैसला आएगा। ईडी ने इन सभी संपत्तियों को जांच में अवैध धन से अर्जित संपत्ति पाया है। जांच में स्पष्ट हुआ है कि संजीव लाल ने पद का दुरुपयोग कर उक्त संपत्ति अपने व अपनी पत्नी तथा नौकर के नाम पर खरीदी है।

जांच में ये तथ्य आए सामने

जब्ती नोट में ईडी ने इसका स्पष्ट विश्लेषण भी किया है। ईडी ने जब्ती नोट में इसका जिक्र किया है कि संजीव कुमार लाल ने पूछताछ में स्वीकारा था कि कुल टेंडर का तीन से चार प्रतिशत राशि वसूला जाता था।

इसमें वह मंत्री के शेयर के रूप में 1.35 प्रतिशत राशि वसूलते थे। यह राशि सहायक अभियंता, कार्यपालक अभियंता से मुख्य अभियंता के माध्यम से वसूली जाती थी। राशि की वसूली नकदी में होती थी। सहायक अभियंता, कार्यपालक अभियंता संजीव लाल से कैश लेने के लिए किसी व्यक्ति को भेजने के लिए कहते थे।

इस पर संजीव लाल अपने दोस्त मुन्ना सिंह या मुन्ना सिंह के भाई संतोष सिंह को इंजीनियर्स से राशि कलेक्ट करने के लिए भेजते थे।

इसके बाद संजीव लाल अपने नौकर जहांगीर आलम को रानी अस्पताल के समीप स्थित अभिनंदन मैरेज हाल के पास स्कूटी के साथ भेजते थे, जहां रुपयों से भरा बैग मुन्ना सिंह के भाई संतोष सिंह उर्फ रिंकू सिंह जहांगीर को देते थे। वह उन रुपयों को अपने सर सैय्यद रेसिडेंसी में पहुंचाता था।

ऐसे होता था पैसों का बंटवारा

संजीव लाल के अनुसार कमीशन की राशि से 1.35 प्रतिशत राशि वह मंत्री आलमगीर आलम को पहुंचाते थे। टेंडर के वर्क ऑर्डर आवंटन से मिली कमीशन से 1.65 प्रतिशत राशि बड़े नौकरशाह व इंजीनियरों, कर्मियों को जाता था।

ईडी के अनुसंधान में यह भी खुलासा हुआ है कि जहांगीर आलम के आवास से बरामद 32 करोड़ 20 लाख रुपये व मुन्ना सिंह के ठिकाने से बरामद 2.93 करोड़ रुपये मंत्री जहांगीर आलम के थे।

पूछताछ में जहांगीर आलम ने इसे स्वीकारा भी था। 32 करोड़ 20 लाख 94 हजार 400 रुपये संजीव लाल के दो-तीन लोगों ने विभिन्न तिथियों में उसे दिया था। मुन्ना सिंह ने ईडी की पूछताछ में स्वीकारा था कि उसने 53 करोड़ रुपये नकदी अपने छोटे भाई संतोष कुमार के माध्यम से कलेक्ट किया और उसे संजीव लाल तक पहुंचाया।

सात लोगों के माध्यम से लिए रुपये

उसने स्वीकारा कि उसने ये रुपये मुख्यत: सात लोगों के माध्यम से लिया, जिनमें राजीव कुमार, संतोष कुमार, राजकुमार टोप्पो, अजय कुमार, अशोक कुमार गुप्ता, अजय तिर्की व अमित कुमार शामिल हैं। ये सभी ग्रामीण विकास विभाग में इंजीनियर्स हैं।

बिल्डर मुन्ना सिंह ने ईडी के सामने स्वीकारा कि संजीव कुमार लाल ने उसे 50 लाख रुपये नकदी रूप में दिया था। यह संजीव कुमार लाल के बरियातू रोड में यूनिवर्सिटी कालोनी के पीछे संस्कृति विहार रोड नंबर तीन स्थित घर के निर्माण के एवज में दिया गया था। 20 लाख रुपये विभिन्न सामग्री सप्लाई के लिए दुकानदारों को दिए गए थे।

ये संपत्तियां जब्त की गईं

- तीन अप्रैल 2023 को बरियातू में खरीदी गई 16.52 डिसमिल आवासीय भूमि। यह वार्ड नंबर नौ स्थित बरियातू में खाता नंबर 143 के प्लाट नंबर 440 पर है। इसपर 2000 वर्गफीट में एक बिल्डिंग भी है। दस्तावेज के अनुसार इसकी कीमत 70 लाख रुपये है। इसका वास्तविक मूल्य दो करोड़ 85 लाख रुपये है। यह संजीव कुमार लाल के नाम पर है।

- रीता लाल के नाम पर पुंदाग मौजा में 20 फरवरी 2024 को खरीदी गई 8.60 डिसमिल जमीन। दस्तावेज के अनुसार यह 24 लाख 50 हजार रुपये में खरीदी गई थी। इसका वास्तविक मूल्य 47 लाख 30 हजार रुपये है।

- जहांगीर आलम के नाम पर सर सैय्यद रेसिडेंसी में 18 नवंबर 2023 को खरीदा गया 995 वर्गफीट का ब्लाक बी में फ्लैट नंबर 1ए। दस्तावेज के अनुसार यह फ्लैट 38 लाख में खरीदा गया था।

- जहांगीर आलम के नाम पर 23 फरवरी 2024 को पुंदाग मौजा में 9.75 डिसमिल जमीन। दस्तावेज के अनुसार यह 25 लाख 71 हजार रुपये में खरीदी गई थी। इसका वास्तविक कीमत 72 लाख 25 हजार रुपये है।

डीड में कम कीमत दिखाया, नकदी में अधिक भुगतान किया

अधिकतर अचल संपत्तियों की खरीदारी में बड़े पैमाने पर नकदी का इस्तेमाल हुआ है। ईडी ने अनुसंधान में पाया है कि डीड में बैंक के माध्यम से बहुत कम राशि का भुगतान हुआ।

डीड में राशि भी कम दिखाई गई है, जबकि अचल संपत्तियों के एवज में भुगतान की बड़ी राशि नकदी में हुई है। यह वही राशि थी, जो कमीशन के एवज में उन्हें मिली थी।

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