ASTRAZENECA VACCINES SIDE EFFECTS: एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से होती है ब्लड क्लॉटिंग, ब्रिटिश कोर्ट में कंपनी का कबूलनामा

एएनआइ, नई दिल्ली। कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने पहली बार यह कबूल किया है कि इस वैक्सीन को लगाने के खून का थक्का जमने की आशंका बढ़ जाती है। AstraZeneca Vaccines को बाजार में कोविशील्ड जैसे ब्रांड के तहत बेचा जाता है। कंपनी ने ब्रिटेन हाई कोर्ट के सामने जो दस्तावेज पेश किए हैं, उसमें स्वीकार किया है कि AstraZeneca Vaccines लेने के बाद थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) का खतरा बढ़ जाता है।

जानें क्या होता है TTS

थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) के कारण रक्त वाहिकाओं में खून का थक्का जम जाता है और शरीर में प्लेटलेट की संख्या काफी कम हो जाती है। हालांकि यह काफी दुर्लभ मामलों में होता है। हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. राजीव जयदेवन के मुताबिक, कोरोना रोधी वैक्सीन ने कई लोगों की जान भी बचाई है, लेकिन विशेष दुर्लभ मामलों में शरीर में ब्लड क्लॉटिंग की समस्या बढ़ सकती है। जयदेवन केरल में नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) कोरोना टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष हैं।

एस्ट्राजेनेका कंपनी पर ये आरोप

AstraZeneca Vaccines पर आरोप है कि कंपनी की वैक्सीन के कारण कई लोगों की हार्ट अटैक से मौत हुई है। इस कारण ब्रिटेन कोर्ट में कंपनी के खिलाफ मुकदमा चल रहा है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोविशील्ड और वैक्सजेवरिया ब्रांड से कोरोना रोधी वैक्सीन तैयार करती है।

भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने बनाई कोविशील्ड वैक्सीन

गौरतलब है कि भारत में कोविशील्ड वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट ने तैयार किया था। रक्त वाहिकाओं में थक्के जमने की खबरों के बीच सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। कंपनी पर मुकदमा जेमी स्कॉट ने किया था, जिन्हें अप्रैल 2021 में एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगवाने के बाद कई साइड इफेक्ट का सामना करना पड़ा। इन्ही सुरक्षा चिंताओं के कारण ब्रिटेन में फिलहाल एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के डोज नहीं लगाए जाते हैं। बीते साल विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी कहा था कि टीटीएस का असर ऐसे लोगों में दिखाई दिया है, जिन्होंने कोरोना रोधी वैक्सीन लगाई गई थी।

2024-04-30T02:31:08Z dg43tfdfdgfd