जकार्ता: विश्व का सबसे बड़ा मुस्लिम देश इंडोनेशिया अपने लिए नई राजधानी बसाने में जुटा है। इसकी वजह है समुद्र का बढ़ता जलस्तर, जिसके चलते वर्तमान राजधानी और दुनिया के बड़े शहरों में एक जकार्ता डूब रहा है। जावा के उत्तर पश्चिमी तट पर स्थित जकार्ता इंडोनेशिया की राजधानी के साथ ही देश का सबसे बड़ा शहरी केंद्र रहा है, लेकिन अब इस शहर की 40 फीसदी जमीन अब समुद्र तल के नीचे है। समुद्र के बढ़ते जलस्तर के चलते शहर की सीमा के अंदर लगभग 1 करोड़ से ज्यादा और महानगरीय क्षेत्र में रहने वाले 3 करोड़ लोगों का घर डूबने की गभीर समस्या का सामना कर रहा है।
जलवायु संकट से पहली बार राजधानी परिवर्तनहालांकि, यह पहली बार नहीं है कि जब किसी देश की राजधानी स्थानांतरित की जा रही है। इसके पहले ब्राजील और नाइजीरिया जैसे देश अपनी राजधानी को बदल चुके हैं। हां, जकार्ता का मामला इसलिए अनोखा है, क्योंकि यह पहली बार हो रहा है जब जलवायु संकट सीधे तौर पर राजधानी को हटाने की वजह बना है। समुद्र का स्तर बढ़ना, अत्यधिक भूजल के दोहन से बढ़ी समस्या ने जकार्ता के डूबने की रफ्तार तेज कर दी है, जिसके चलते सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी पड़ी है।
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने अगस्त 2019 में राजधानी को स्थानांतरित करने की योजना का समर्थन किया। इसके बाद समुद्र से निकटता, सुनामी, भूकंप या ज्वालामुखी विस्फोट जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिए कम संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए पूर्वी कालीमंतन को नई साइट के रूप में चुना गया। इस बीच, पर्यावरण विशेषज्ञों ने गंभीर संभावना के बारे में चेतावनी दी है कि अगर यही स्थिति रही तो 2050 तक जकार्ता का एक तिहाई हिस्सा पूरी तरह पानी में समा सकता है।
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