संसद में राहुल गांधी की टिप्पणी पर एसजीपीसी ने कड़ा संज्ञान लिया

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा संसद में की गई हालिया टिप्पणियों पर शुक्रवार को कड़ा संज्ञान लिया और उन पर 'अभय मुद्रा' को गुरु नानक देव की विचारधारा से जोड़ने का आरोप लगाया।

एसजीपीसी ने किसी भी कलाकार या अभिनेता को स्वर्ण मंदिर परिसर में अपने प्रचार के लिए वीडियोग्राफी करने से रोकने का भी आदेश दिया। यह कदम फैशन डिजाइनर अर्चना मकवाना द्वारा हरमंदर साहिब में योग किए जाने के कुछ दिन बाद आया है।ये निर्णय यहां आयोजित एसजीपीसी की कार्यकारी समिति की बैठक में लिए गए।

राहुल ने कहा कि गुरु साहब की छवि अभय मुद्रा दर्शाती है, यह गलत है- एसजीपीसी

एसजीपीसी ने एक बयान में कहा, ‘‘राहुल गांधी ने गुरु नानक का संदर्भ देते हुए कहा कि गुरु साहब की छवि अभय मुद्रा दर्शाती है, यह पूरी तरह से गलत है। प्रस्ताव में यह स्पष्ट किया गया कि गुरु साहब ने ऐसी किसी भी मुद्रा या आसन को मान्यता नहीं दी। उन्होंने केवल एक 'अकाल पुरख' के साथ जुड़ने की शिक्षा दी।’’

संसद में गांधी द्वारा गुरु नानक देव के दर्शन और छवि को लेकर की गई टिप्पणियों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए एसजीपीसी ने कहा कि पवित्र गुरबानी और गुरुओं की शिक्षाओं को पूरी जानकारी के बिना राजनीतिक बहस का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए।

इस संबंध में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि अक्सर राजनीतिक लोगों द्वारा गुरुओं के मूल सिद्धांतों और पवित्र गुरबानी के अर्थ की भी गलत व्याख्या की जाती है जिससे सिखों की भावनाएं आहत होती हैं।

संसद की कार्यवाही के दौरान किसी की भी धार्मिक भावनाएं आहत न हों- एसजीपीसी

प्रस्ताव के जरिए एसजीपीसी ने लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि संसद की कार्यवाही के दौरान किसी की भी धार्मिक भावनाएं आहत न हों।

गांधी ने एक जुलाई को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान बोलते हुए पैगंबर मुहम्मद का हवाला देते हुए कहा था कि कुरान निर्भयता की बात करता है। उन्होंने कहा था कि जब हाथ ''दुआ'' में उठाए जाते हैं तो एक तरह से ''अभय मुद्रा'' भी देखी जा सकती है।

उन्होंने निर्भयता के महत्व को रेखांकित करने के लिए भगवान शिव, गुरु नानक और ईसा मसीह की तस्वीरें हाथ में लेकर हिंदू धर्म, इस्लाम, सिख धर्म, ईसाई धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म का उल्लेख किया था।

फैशन डिजाइनर मकवाना पर 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर स्वर्ण मंदिर परिसर में योग के माध्यम से "धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने" का मामला दर्ज किया गया था।

हालांकि, मकवाना ने माफी मांगते हुए कहा था कि उनका इरादा कभी भी किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था।

एसजीपीसी प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि हर धार्मिक स्थान के अपने नियम होते हैं और जानबूझकर की गई हरकतें माफ करने योग्य नहीं हैं। उन्होंने एक बयान में कहा कि भविष्य में हरमंदर साहिब में फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के संबंध में नियम तय किए जाएंगे। धामी ने कहा कि हालांकि तत्काल प्रभाव से किसी भी कलाकार या अभिनेता को अपने प्रचार के लिए वीडियोग्राफी करने पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए गए हैं।

कंगना रनौत की टिप्पणी की निंदा करते हुए प्रस्ताव पारित- एसजीपीसी प्रमुख

एसजीपीसी प्रमुख ने कहा कि कार्यकारी समिति ने भाजपा सांसद कंगना रनौत द्वारा की गई कथित "घृणास्पद" टिप्पणियों की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव भी पारित किया।

उन्होंने कंगना के "पंजाब विरोधी नफरत भरे भाषण" पर कार्रवाई नहीं करने के लिए पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की आलोचना की।

पिछले महीने चंडीगढ़ हवाई अड्डे पर सीआईएसएफ की एक महिला कांस्टेबल ने कंगना को थप्पड़ मार दिया था। बाद में, एक वीडियो संदेश में अभिनेत्री ने कहा था, "मैं सुरक्षित हूं लेकिन मेरी चिंता यह है कि पंजाब में आतंकवाद और उग्रवाद बढ़ रहा है... हम इससे कैसे निपटेंगे?"

एसजीपीसी ने हरमंदर साहिब के लिए दो 'ग्रंथी सिंह' की नियुक्ति को भी मंजूरी दे दी।

इसने हाल ही में राजस्थान के जोधपुर में न्यायिक परीक्षा में एक 'अमृतधारी' सिख अभ्यर्थी को कथित रूप से 'ककार' (सिख आस्था के प्रतीक चिह्न) हटाने के लिए मजबूर और परेशान करने के मामले में अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की।

एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा कि सिख अभ्यर्थियों को 'ककार' हटाने के लिए मजबूर करना सिखों के खिलाफ भेदभाव है।

अंबाला की एक सिख महिला ने दावा किया था कि जब वह दीवानी न्यायाधीश के रूप में सीधी भर्ती के लिए प्रारंभिक परीक्षा में शामिल होने जोधपुर गई थी तो उससे 'ककार' हटाने के लिए कहा गया।

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