राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर सेमिनार

रांची (ब्यूरो) । राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर उजैन स्थित विक्रम विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला संपन्न हो गया. कार्यशाला का आयोजन नई दिल्ली, मध्यप्रदेश शासन उच शिक्षा विभाग, भोज मुक्त विश्वविद्यालय, भोपाल एवं विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में किया गया. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर माधव सेवा न्यास, उज्जैन में 3 से 5 जून तक आयोजित इस राष्ट्रीय कार्यशाला में देश भर से 400 से अधिक कुलपति प्रोफेसर, प्राचार्य, कुलसचिव, शिक्षाविद तथा शोधार्थी सम्मिलित हुए.

प्रयोगों पर प्रदर्शनी

इस अवसर पर शिक्षा में किए जा रहे अभिनव प्रयोगों पर एक प्रदर्शनी का भी लोकार्पण मध्य प्रदेश के विद्यालयी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने किया. कार्यशाला के समापन समारोह में राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कहा कि पुराना सामर्थवान भारत देश गरिमा के साथ वापस आ रहा है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति अभिनव दृष्टि के साथ बनाई गई है. भविष्य की चुनौतियों के समाधान प्रस्तुत करने की दृढ़ संकल्पना इसमें निहित है. इस नीति से शैक्षिक, संस्कारवान, राष्ट्र भक्त विद्यार्थी का निर्माण होगा. एक समय था जब विदेश में पढऩा गौरव बन गया था. अब सामर्थवान पुराना भारत देश गरिमा के साथ वापस आ रहा है. शिक्षा शक्ति और साधन है. नई शिक्षा नीति विश्व में भारत को विशिष्ट पहचान दिलाएगी.

आंदोलन करना पड़ता था

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन और नीति को आगे ले जाने के लिए आपने जो परिश्रम किया है, उसके परिणाम आने वाले दिनों में दिखाई देंगे. एक समय था जब हमें शिक्षा बचाव के लिए आंदोलन करना पड़ रहा था. उन्होंने विश्वविद्यालयों के कुलपति और कार्यपरिषद सदस्यों से कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति और कार्यपरिषद के सदस्य विश्वविद्यालय के विकास को गति देने के लिए पदस्थ किए जाते हैं. उन्हें अपनी गरिमा एवं मर्यादा का आभास होना चाहिए. उन्हें अपने अहम से टकराव की स्थिति निर्मित नहीं करनी चाहिए, अपितु विश्वविद्यालय के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए.

प्रैक्टिकल बदलाव हो रहे

न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने कहा कि नई शिक्षा नीति में भारतीयता को आधार बनाया गया है. अब शिक्षा में व्यवहारिक परिवर्तन हो रहे हैं. कार्यशाला में सभी कुलपति एक-दूसरे विश्वविद्यालय से समन्वय कर काम कर रहे हैं. शिक्षा परिवर्तन की गति से तेजी से बढ़ रही है. उन्होंने भारतीय भाषा के गौरव को व्यक्त करते हुए कहा कि दुनिया की श्रेष्ठ भाषा भारतीय भाषा मानी गई है. जब तक देश का छात्र आत्मनिर्भर नहीं होगा, देश आत्मनिर्भर नहीं हो सकता. मध्य प्रदेश के उच शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि हमें अपने वास्तविक इतिहास को जानना जरूरी है. इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में दो प्रस्ताव पहला भारतीय भाषाओं में शिक्षा तथा दूसरा शिक्षा से आत्मनिर्भर भारत सर्वसम्मति से पारित किए गए. राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला में झारखंड से 17 कार्यकर्ता, शिक्षाविद् एवं कुलपति सम्मिलित हुए. कार्यशाला में झारखंड से झारखंड राय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सविता सेंगर, विनोबा भावे विश्वविद्यालय के प्रबंधन विभाग के पूर्व निदेशक डॉ मंटून कुमार सिंह, कोयलांचल विश्वविद्यालय धनबाद के पूर्व कुलपति डॉ अंजनी कुमार श्रीवास्तव, झारखंड राय विश्वविद्यालय रांची के कुलसचिव डॉ पीयूष रंजन, डॉ अमृत कुमार, महंत श्री दास, डॉ बीके विश्वकर्मा, डॉ ललिता राणा, डॉ अखौरी गोपालजी सहाय, प्रदेश संयोजक अमरकांत झा आदि उपस्थित थे.

2023-06-10T18:18:44Z dg43tfdfdgfd