Swami Vivekananda Speech in Hindi: आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि 4 जुलाई को मनाई जा रही है। 12 जनवरी को कोलकाता में जन्मे नरेंद्रनाथ ने 25 वर्ष की आयु में सांसारिक मोह माया का त्याग कर आध्यात्म और हिंदुत्व के प्रचार-प्रसार में अपनी जीवन लगा दिया। वह संन्यासी बन जब ईश्वर की खोज में निकले तो पूरे विश्व को उन्होंने हिंदुत्व और आध्यात्म का ज्ञान देते हुए भारत के रंग में रंग दिया।
उनके नाम एक ऐसी उपलब्धि है, जिसने वैश्विक स्तर पर भारत का डंका बजाया था। 11 सितंबर 1893 को अमेरिका के शिकागो शहर में आयोजित धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद ने हिंदी में भाषण दिया, जिसकी शुरुआत उन्होंने 'अमेरिका के भाइयों और बहनों' के साथ की। उनकी आवाज की ऊर्जा से हर कोई उन्हें सुनने को मजबूर हो गया और भाषण की समाप्ति पर दो मिनट कर आर्ट इंस्टीट्यूट आफ शिकागो तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा। स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि के मौके शिकागो में धर्म संसद में दिया उनका ऐतिहासिक भाषण सुनिए।
स्वामी विवेकानंद का भाषण
अमेरिका में मेरे भाइयों और बहनों मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे देश से हूं, जिसने इस धरती के सभी देशों और धर्मों के सताए लोगों को शरण में रखा है।
संबोधन को आगे बढ़ाते हुए कहा, मैं आपको अपने देश की प्राचीन संत परंपरा की तरफ से धन्यवाद देता हूं। आपको सभी धर्मों की जननी की तरफ से भी धन्यवाद देता हूं और सभी जाति, संप्रदाय के लाखों, करोड़ों हिंदुओं की तरफ से आभार व्यक्त करता हूं। मेरा धन्यवाद कुछ उन वक्ताओं को भी जिन्होंने इस मंच से यह कहा कि दुनिया में सहनशीलता का विचार सुदूर पूरब के देशों से फैला है।
स्वामी विवेकानंद आगे बोले,
''मुझे इस बात का गर्व है कि मैं ऐसे धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया और हम सभी धर्मों को स्वीकार करते हैं। जिस तरह अलग-अलग जगहों से निकली नदियां, अलग रास्तों से होकर समुद्र में मिलती हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य भी अपनी इच्छा से अलग रास्ते चुनता है। ये रास्ते दिखने में भले ही अलग-अलग लगते हैं लेकिन ये सभी ईश्वर तक ही जाते हैं।''