SANGAM VATIKA FIRE: दुकान के पंजीयन पर खुले संगम और रंगमहल अवैध

Sangam Vatika fire: नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। रंगमहल और संगम विवाह वाटिकाएं पाश और आला दर्जे के लोगों की खास पसंद रहीं। चाहे बड़े व्यापारी, उद्यमी, आला अफसर हों या राजनेता, ये दोनों विवाह वाटिकाएं स्टे्टस सिंबल जैंसी रहीं। लेकिन यहां अग्निकांड की घटना के बाद उनकी जो हकीकत उजागर हुई, वो शर्मसार करने वाली है। शहर के बीचों बीच संगम वाटिका और रंग महल गार्डन अवैध रूप से संचालित हो रहे थे। यह राजफाश पांच सदस्यीय दल की जांच में हुआ है। जांच पूरी हो चुकी है अब रिपोर्ट जल्द ही कलेक्टर को सौंप दी जाएगी। इसके बाद यह तय होगा कि गार्डन संचालक नरेश खंडेलवाल के खिलाफ एफआइआर होगी या नहीं। सभी सदस्यों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट बनाकर दल प्रभारी एसडीएम विनोद सिंह को सौंप दी है।

गार्डन संचालक को नोटिस देकर पक्ष रखने बुलाया

जांच टीम प्रभारी एसडीएम विनोद सिंह ने फिलहाल गार्डन संचालक नरेश खंडेलवाल को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस दिया है। जांच रिपोर्ट में राजफाश हुआ कि गार्डन संचालक ने दुकान का पंजीयन नगर निगम से करा रखा था। जिस पर निगम अफसरों से साठगांठ कर संगम वाटिका और रंग महल गार्डन खोल दिया, जो लंबे समय से अवैध रूप से संचालित हो रहा था। इसमें सुरक्षा के किसी भी मानक का पालन भी नहीं किया गया। इस कारण 19 अप्रैल शुक्रवार की रात संगम वाटिका में भीषण आग लगी थी। इसकी चपेट में आया रंग महल गार्डन भी जलकर खाक हो गया। इस भीषण अग्निकांड पर काबू पाने के लिए नगर निगम को फायर ब्रिगेड की 69 गाड़ियां पानी डालना पड़ा था। इसमें टेकनपुर, मालनपुर और महाराजपुरा एयरफोर्स से तक मदद लेनी पड़ी थी।

पांच सदस्यीय दल की जांच में यह निकली खामियां

  • नगर निगम में संगम वाटिका व रंग महल गार्डन का पंजीयन नहीं हुआ है। टीएनसीपी में था।
  • नगर निगम में दुकान के नाम से संचालक ने पंजीयन करा रखा था।
  • विद्युत इलेक्ट्रिकल सुरक्षा से सुरक्षा प्रमाण-पत्र भी नहीं लिया था।
  • बिजली कंपनी से 40 किलोवाट का मीटर लगवाया, जबकि भार 125 किलोवाट का मिला।
  • निगम ने एक मार्च को फायर प्लान की स्वीकृति दी, पर संचालक ने अमलीजामा नहीं पहनाया।
  • रसोई में पीएनजी की पाइप लाइन लगी मिली, जिससे लीकेज नहीं मिला।

नगर निगम की कार्रवाई फर्जी, अब निरीक्षण हो रहा

संगम वाटिका और रंग महल में आग लगने के बाद निगम अमले ने तत्परता दिखा। अधीक्षण यंत्री अतिबल सिंह यादव ने दूसरे दिन ही तीन साल से बंद पड़े चार मैरिज गार्डन को सील करना बता दिया और संस्कृति गार्डन मेला ग्राउंड का भी सील करना बताया, जबकि उसमें दूसरे दिन विवाह कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस फर्जी कार्रवाई की पोल खुलते ही अब निगम शहर के सभी गार्डन का निरीक्षण कर खामियां जानने की बात कर रहा है।

कठघरे में अफसर

फायर प्लान स्वीकृत किया पर पंजीयन नहीं देखा

संगम वाटिका में दो बार पहले भी आग लग चुकी है तब भी फायर ब्रिगेड के दल ने काम किया था। नगर निगम अब तक छह बार नोटिस दे चुका था। जिसके एवज में संचालक ने निगम से एक मार्च को फायर प्लान की स्वीकृति भी ली। लेकिन निगम अफसरों ने फायर प्लान की स्वीकृति देते वक्त भी पंजीयन की जांच नहीं की।

आडिट कराया फिर ध्यान नहीं दिया

विद्युत इलेक्ट्रिकल सुरक्षा को लेकर ए-श्रेणी के ठेकेदार से गार्डन का आडिट तो विभाग ने कराया, लेकिन इसके बाद भूल गया और न तो सुरक्षा प्रमाण पत्र दिया और न ही गार्डन में विद्युत-फायर सेफ्टी को लेकर क्या खामियां थीं, उसके बारे में बताया।

मीटर 40 किलोवाट, खपत 125 किलोवाट

विद्युत विभाग ने 40 किलो वाट का मीटर स्वीकृत किया। फिर भी इन मैरिज गार्डन में झांककर नहीं देखा कि यहां पर भार कितना है। अब जांच में पता चला कि विद्युत भार 125 किलोवाट का है जो तीन गुना से भी ज्यादा है।

फूड विभाग भी नहीं जागा

संगम वाटिका की रसोई में घरेलू गैस सिलेंडर भी उपयोग हो रहे थे। जिसे खुद फायर ब्रिगेड कर्मचारियों ने कहा था क्योंकि अग्निकांड में गैस सिलेंडर को बचाने के लिए उन्हें रसोई से बाहर निकला गया था। तब संचालक ने रसोई गैस के सिलेंडर गायब करा दिए और कमर्शियल सिलेंडर वहीं छोड़ दिए थे। पर जांच दल को रसोई में पीएनजी गैस पाइप लाइन मिली, जो सुरक्षित है।

कार्रवाई फर्जी, अब निरीक्षण हो रहा

संगम वाटिका और रंग महल में आग लगने के बाद निगम अमले ने तत्परता दिखा। अधीक्षण यंत्री अतिबल सिंह यादव ने दूसरे दिन ही तीन साल से बंद पड़े चार मैरिज गार्डन को सील करना बता दिया और संस्कृति गार्डन मेला ग्राउंड का भी सील करना बताया, जबकि उसमें दूसरे दिन विवाह कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस फर्जी कार्रवाई की पोल खुलते ही अब निगम शहर के सभी गार्डन का निरीक्षण कर खामियां जानने की बात कर रहा है।

आम तौर पर फायर प्लान के अप्रूवल के समय सभी दस्तावेज देखे जाते हैं। कहां पर चूक हुई मैं इस मामले की फाइल देखकर ही बता पाऊंगा कि फायर प्लान का अप्रूवल किस आधार पर दिया गया। -मुनीष सिकरवार, अपर आयुक्त नगर निगम।

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