MILK SUPPLY IN INDORE: इंदौर में हर दिन 12 लाख लीटर दूध की जरूरत, अभी भी दूसरे जिलों से हो रही आपूर्ति

Milk Supply in Indore: लोकेश सोलंकी, नईदुनिया इंदौर। मध्य प्रदेश के बजट में दुग्ध उत्पादक किसानों के लिए प्रदेश सरकार ने 150 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन की घोषणा की है। पहली नजर में गांव-किसान से जुड़ी यह घोषणा इंदौर जैसे प्रदेश के सबसे बड़े शहर के लिए खासी अहम है।

दरअसल तेजी से 
फैलता इंदौर आज भी दूध जैसी आम जरूरत की पूर्ति के लिए आसपास के जिलों पर निर्भर है। और तो और गुजरात से दूध इंदौर पहुंच रहा है। ऐसे में दूध उत्पादक किसानों के लिए की गई सरकार की घोषणा इंदौर के लिए भी सबसे ज्यादा महत्व रख रही है।

इंदौर दुग्ध संघ से जुड़े हैं 33 हजार किसान

इंदौर दुग्ध संघ (सांची) में हर दिन करीब 2.75 लाख लीटर दूध की खरीदी हो रही है। इंदौर दुग्ध संघ के अध्यक्ष मोतीसिंह पटेल कहते हैं कि दुग्ध उत्पादक किसान करीब 33 हजार हैं, जो इंदौर दुग्ध संघ को अपना उत्पादित दूध बेच रहे हैं। हालांकि इंदौर की दूध की जरूरत इससे कहीं ज्यादा है।

इंदौर दूध विक्रेता संघ के अध्यक्ष भरत मथुरावाला कहते हैं कि इंदौर में हर दिन के दूध की खपत 12 लाख लीटर के आसपास है। सीधे तौर पर सिर्फ इंदौर जिले से इस मांग की आपूर्ति होना असंभव है। उनका कहना है कि वर्षों से मांग की जा रही है कि दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की दिशा में अब प्रयास की जरूरत है।

दुग्ध उत्पादन में मेहनत ज्यादा है

अभी स्थिति यह है कि इंदौर के लिए धार, नागदा, देवास, बड़वाह और खंडवा तक के आसपास के जिलों से दूध आता है, तब जाकर शहर के दूध की जरूरत पूरी हो पाती है। शहर के आसपास जमीन महंगी है और दुग्ध उत्पादन में मेहनत ज्यादा।

ऐसे में नई पीढ़ी इस व्यवसाय से दूर जा रही है। अब सरकार से प्रोत्साहन राशि यदि दुग्ध उत्पादक किसानों को मिलेगी तो डेयरी फार्मिंग उद्योग सीधे तौर पर बढ़ेगा और आने वाले समय के लिए शहर तैयार होगा।

इंदौर से उठी थी मांग

इंदौर दुग्ध संघ अभी किसानों से 7.10 पैसे प्रति फैट की दर से दूध की खरीदी करता है। दुग्ध संघ के अध्यक्ष मोतीसिंह पटेल के अनुसार राजस्थान, बंगाल, गुजरात जैसे तमाम राज्य हैं, जो प्रति लीटर की दर से दुग्ध उत्पादक किसानों को बोनस देते हैं। इंदौर दुग्ध संघ लगातार सरकार को पत्र लिखता रहा है कि ऐसी प्रक्रिया प्रदेश को भी अपनाने की जरूरत है।

अब तक दुग्ध संघ अपने मुनाफे से ही बोनस के रूप में राशि किसानों को देता रहा है। सरकार से सहयोग मिलेगा तो स्पष्ट तौर पर नए किसान दुग्ध उत्पादन के लिए प्रेरित होंगे। भरत मथुरावाला के अनुसार दुग्ध उत्पादक किसानों को प्रोत्साहन राशि के वितरण के लिए हमने सरकार को सिस्टम बनाकर प्रस्ताव भी भेजा था।

दरअसल हर विक्रेता और किसान को भारतीय खाद्य सुरक्षा (एफएसएसआई) के तहत अपना पंजीयन करवाना है। इससे पता चलेगा कि वह कितना दुग्ध किस विक्रेता को दे रहा है। इस तरह सरकार के पास दुग्ध उत्पादन का सही आंकड़ा भी पहुंच सकेगा और संबंधित किसान को उसके द्वारा बेचे जा रहे दूध के अनुपात में प्रोत्साहन राशि भी दी जा सकेगी।

पांच साल में ही दामों में 15 रुपये की वृद्धि

दूध के दाम बीते कुछ वर्षों में तेजी से बढ़े हैं। सीधे तौर पर पांच वर्षों में ही दूध के दामों में 15 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि नजर आ रही है। अभी इंदौर में दूध 60 से 63 रुपये लीटर बिक रहा है। कुछ साल पहले तक दूध के दामों में वृद्धि पर प्रशासन का सख्त नियंत्रण रहता था।

हालांकि बीते साल में यह नरम पड़ा है, क्योंकि मांग के मुकाबले उत्पादन कमजोर है। ऐसे में उपभोक्ताओं को दामों में राहत दिलाने के लिए भी पहले दूध का उत्पादन बढ़ाया जाना जरूरी हो जाता है।

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