MANIPUR VIOLENCE: कूकी महिलाओं को मणिपुर पुलिसकर्मियों ने ही किया था भीड़ के हवाले, CBI चार्जशीट में दावा

Manipur violence: मणिपुर में कूकी-जोमी समुदाय की दो महिलाओं को पुलिसकर्मियों ने ही कथित तौर पर उस भीड़ के हवाले कर दिया था जिसने उन्हें निर्वस्त्र कर घुमाया था। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के चार्जशीट में यह जानकारी दी गई है। CBI के चार्जशीट में कहा गया कि कांगपोकपी जिले में इन महिलाओं ने पुलिसकर्मियों के सरकारी जिप्सी में शरण मांगी थी, लेकिन वे दोनों महिलाओं को वाहन में बिठाकर करीब 1,000 मेइती दंगाइयों की भीड़ के सामने ले गए।

चार्जशीट में कहा गया कि इसके बाद दोनों महिलाओं से सामूहिक दुष्कर्म करने से पहले उन्हें निर्वस्त्र कर घुमाया गया। यह घटना राज्य में जातीय हिंसा के दौरान की है। चार्जशीट में कहा गया है कि भीड़ ने उसी परिवार की तीसरी महिला पर भी हमला किया था और उसे निर्वस्त्र करने की कोशिश की थी। लेकिन असफल रहे, क्योंकि वह अपनी पोती को कसकर पकड़े हुए थी। तीसरी महिला तब भागने में सफल हो गई जब उस पर हमला करने वाला समूह उन दो महिलओं की ओर बढ़ने लगा जिनसे धान के खेत में दरिंदगी की जा रही थी।

पीड़ितों ने पुलिस से मांगी थी मदद

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, चार्जशीट में कहा गया कि तीनों पीड़ितों ने मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों से मदद मांगी थी, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली। चार्जशीट का विस्तृत ब्योरा देते हुए अधिकारियों ने कहा कि पीड़ित महिलाओं में से एक करगिल युद्ध में शामिल सैनिक की पत्नी थी।

अधिकारियों ने बताया कि महिलाओं ने पुलिसकर्मियों से उन्हें कार से सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए कहा था, लेकिन पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर उनसे कहा कि उनके पास वाहन की चाबी नहीं है तथा कोई मदद नहीं की।

4 मई को वायरल हुआ वीडियो

मणिपुर में पिछले साल 4 मई की घटना के लगभग दो महीने बाद जुलाई में एक वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ था जिसमें देखा गया कि दो महिलाएं पुरुषों की भीड़ से घिरी हैं और उन्हें निर्वस्त्र घुमाया जा रहा है। CBI ने पिछले साल 16 अक्टूबर को गुवाहाटी में विशेष जज, CBI अदालत के समक्ष 6 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया।

इसमें कहा गया कि एके राइफल, एसएलआर, इंसास और 303 राइफल जैसे अत्याधुनिक हथियार से लैस लगभग 900-1,000 लोगों की भीड़ से बचने के लिए दोनों महिलाएं भाग रही थीं। चार्जशीट में कहा गया है कि एक भीड़ सैकुल थाने से लगभग 68 किलोमीटर दक्षिण में कांगपोकपी जिले में उनके गांव में जबरदस्ती घुस गई थी।

भीड़ से बचने के लिए महिलाएं अन्य पीड़ितों के साथ जंगल में भाग गईं, लेकिन दंगाइयों ने उन्हें देख लिया। अधिकारियों ने बताया कि भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने महिलाओं को मदद मांगने के लिए सड़क किनारे खड़े पुलिस वाहन के पास जाने के लिए कहा।

पीड़ितों ने बताई आपबीती

दोनों महिलाएं पुलिस वाहन में घुसने में कामयाब हो गईं जिसमें दो पुलिसकर्मी और ड्राइवर पहले से बैठे थे। जबकि तीन-चार पुलिसकर्मी वाहन के बाहर थे। पीड़ितों में शामिल एक पुरुष भी वाहन के अंदर जाने में कामयाब रहा और वह चालक से उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए गुहार लगाता रहा। लेकिन उसे भी बताया गया कि चाबी नहीं है। पीड़ितों में से एक के पति ने असम रेजिमेंट के सूबेदार के रूप में भारतीय सेना में काम किया था। CBI का आरोप है कि पुलिस ने वाहन में बैठे व्यक्ति के पिता को भी भीड़ के हमले से बचाने में मदद नहीं की।

बाद में, ड्राइवर ने वाहन को ले जाकर करीब 1,000 लोगों की भीड़ के सामने रोक दिया। पीड़ितों ने पुलिसकर्मियों से उन्हें सुरक्षित निकालने की गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने कोई मदद नहीं की। जांच एजेंसी ने कहा कि भीड़ ने पहले उस व्यक्ति के पिता की हत्या की जो दो महिलाओं के साथ गाड़ी में बैठा था। इसके बाद वाहन में बैठे पुरुष पीड़ित को भी पीट-पीट कर मारा डाला गया। उनके शवों को गांव के पास सूखी नदी में फेंक दिया गया।

दंगाइयों के हवाले कर चले गए पुलिसकर्मी

पुलिसकर्मी पीड़ितों को हिंसक भीड़ के हवाले कर वहां से चले गए। चार्जशीट में कहा गया कि दंगाइयों ने महिलाओं को बाहर खींच लिया और उनका यौन उत्पीड़न करने से पहले उन्हें निर्वस्त्र कर घुमाया। चार्जशीट में कहा गया है कि तीसरी महिला ने अपनी पोती के साथ दूसरे गांव की ओर भागकर जान बचाई। वह अगले दिन एक नगा गांव में अपने परिवार से मिली।

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CBI ने हुइरेम हेरोदास मेइती और 5 अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया है। एक किशोर के खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज की है। मणिपुर पुलिस ने हेरोदास को जुलाई में गिरफ्तार किया था। CBI ने कहा कि आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें सामूहिक दुष्कर्म, हत्या, एक महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना और आपराधिक साजिश से संबंधित धाराएं शामिल हैं।

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