यह श्रीनगर का लाल चौक है। एक समय था, जब इस स्थान पर दिन के समय भी सन्नाटा पसरा रहता था। पत्थरबाजी और गोलियां बरसतीं थीं। पत्थरबाजों का आतंक सिर चढ़कर बोलता था। तब लोग यहां आने से परहेज करते थे। अब वक्त बदला है, तो तस्वीर भी बदली है। खौफ की जगह अब यहां लोकतंत्र की बयार बह रही। मेले सा माहौल एक नई सुबह की दस्तक है। बुधवार को लाल चौक पर जम्हूरियत का जश्न देखने को मिला। ढोल-नगाड़ों के साथ राजनीतिक हलचल देखने को मिली, जिसके गवाह यहां मौजूद सैकड़ों युवा और स्थानीय लोग बने।
बुधवार को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के युवा नेता वहीद रहमान पर्रा जब अपना नामांकन भरने के लिए पार्टी मुख्यालय से निकले तो उनके साथ समर्थकों का एक बड़ा हजूम था। ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाचते हुए समर्थक पैदल मार्च की सूरत में लाल चौक के घंटा घर की ओर बढ़े और वहां से डीसी कार्यालय में पहुंचे। इस दौरान वहीद ने घंटा घर पर लगाए तिरंगे के नीचे रुककर समर्थकों को संबोधित किया। पूरे लाल चौक में पार्टी के झंडे लेकर कार्यकर्ता दिख रहे थे।
बता दें कि यह वही पीडीपी है, जिसने अनुच्छेद 370 हटाने के समय कहा था कि यहां देश का तिरंगा उठाने के लिए कोई नहीं मिलेगा और आज वही जम्हूरियत का जश्न मनाती हुई लाल चौक में दिखी। इसी बीच वहीद ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट कर चुप्पी तोड़ी। इससे पहले उन्होंने आखिरी बार 21 नवंबर, 2020 को ट्वीट किया था। बुधवार को उन्होंने घंटा घर की एक तस्वीर पोस्ट कर लिखा, हर कश्मीरी की तरह। घंटा घर - लाल चौक, श्रीनगर, चुपचाप अपने चारों ओर होने वाली हर चीज का गवाह बनता है।
लाल चौक पर जब जम्हूरियत का जश्न मनाया जा रहा था, उस समय पार्टी कार्यकर्ताओं, आम नागरिकों, पर्यटकों सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। एक स्थानीय दुकानदार बशीर अहमद ने कहा, आज श्रीनगर में एक बदलाव की लहर महसूस की जा सकती है। यहां कभी हम पत्थरबाजी, आंसू गैस के गोले, प्रदर्शन मार्च आदि देखा करते थे, आज राजनीतिक हलचल देखने को मिल रही है। यह एक सुखद बदलाव है।
सैलानियों ने की अमन की कामना
घंटा घर देखने पहुंचे कोलकाता के प्रसून दा ने कहा, हम खबरों में हमेशा घंटा घर और लाल चौक को गलत सुर्खियों में देखते आए हैं। आज यहां आकर एक विकसित घंटाघर देख अच्छा लगा और उस पर हैरानगी यह हुई कि जम्हूरियत के जश्न के हम गवाह बने। जैसे दिल्ली में लोगों के लिए इंडिया गेट आकर्षण का केंद्र है वैसे यहां कश्मीर आने वाले सैलानी घंटाघर को देखना चाहते हैं। प्रार्थना करते हैं कि ऐसे ही अमन-शांति बनी रहे।