कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक दिन की शादी में पति पर दुष्कर्म और उसके परिवार के खिलाफ उत्पीड़न की शिकायत को कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग का श्रेष्ठ उदाहरण बताते हुए महिला की शिकायत पर अंतरिम रोक लगा दी। हाईकोर्ट ने इस मामले में पति व उसके परिजनों के खिलाफ किसी भी तरह के आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी। महिला की शिकायत के खिलाफ उसके पति व परिवार ने हाईकोर्ट का रुख किया था।
हाईकोर्ट ने कहा, शिकायतकर्ता महिला व उसका पति बंगलूरू में एक एमएनसी मोटरबाइक शोरूम में साथ काम करते थे। चार साल के प्रेम प्रसंग के बाद 27 जनवरी 2023 को दोनों ने मंदिर में शादी कर ली और मल्लेश्वरम के शादी रजिस्ट्रार के सामने अपनी शादी का पंजीकरण कराया। शादी वाले दिन महिला का जन्मदिन था। पति को उसी दिन उसके पिछले अफेयर के बारे में पता चला और मालूम हुआ कि वह व्हाट्सएप पर एक अन्य व्यक्ति से लगातार बातें कर रही है।
इस बात पर शादी के अगले दिन उनके बीच कुछ बहस हुई और महिला 29 जनवरी को अपना ससुराल छोड़कर चली गई। महिला ने पति को शादी खत्म करने की धमकी भी दी। 29 जनवरी से 1 मार्च तक लगभग 32 दिन दोनों के बीच में कोई बातचीत नहीं हुई। उसके बाद महिला ने पति पर दुष्कर्म व परिवार पर उत्पीड़न का आरोप लगाकर पुलिस में शिकायत दे दी।
महिला ने कहा-उसे कुछ याद नहीं था
महिला ने अपनी शिकायत में दावा किया कि शादी वाले दिन उसे कुछ हो गया था जिससे उसे कुछ भी याद नहीं। शायद उसे कोई जहरीला पदार्थ दिया गया था जिस कारण वह याद नहीं कर पा रही कि मैरिज रजिस्ट्रार के यहां दस्तखत कैसे किये और क्या सब हुआ। उसने आरोप लगाया कि जब पति को उसके पिछले अफेयर के बारे में पता चला तो उसने उसका उत्पीड़न किया। हाईकोर्ट ने कहा, यह कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग का श्रेष्ठ उदाहरण है। यहां शिकायतकर्ता महिला सिर्फ पति तक सीमित नहीं रही उसने उसके परिवार को भी अपने जाल में फंसाया।