JANTA KE RAKHWALE COLUMN JABALPUR : ये हैं शमीम के गिरोह के स्याह चेहरे, जिम्मेदार अपनी आंखों पर पट्टी बांधे रहे

Janta Ke Rakhwale Column Jabalpur : रामकृष्ण परमहंस पांडेय, नई दुनिया जबलपुर। सामरिक द्ष्टि से जबलपुर बेहद संवेदनशील है। यहां सेना के लिए आयुध सामग्री का निर्माण करने वाली आयुध निर्माणियां हैं। सेना की बड़ी छावनी है। बरगी बांध व विद्युत मंडल का मुख्यालय है। जिन्हें नुकसान पहुंचा तो होने वाली भयावहता का अनुमान लगाना भी कठिन है। ऐसे संवेदनशील शहर में एक कबाड़ी गोला बारूद का ढेर इकट्ठा करता रहा परंतु जिम्मेदार अपनी आंखों पर पट्टी बांधे रहे। कबाड़खाने में विस्फोट से वहां काम करने वाले मजदूरों के चीथड़े उड़ गए। मौके पर छह गुणा आठ का गड्डा हो गया। कई किलोमीटर दूर तक भवनों में दरारें आ गईं। क्या अकेला शमीम इसके लिए दोषी है। इस सवाल पर घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने कहा कि कबाड़खाने में विस्फोट होने के बाद शमीम व उसके गुर्गों के मोबाइल की काल डिटेल मिल जाए तो आप स्वयं कहेंगे कि ये हैं उसके गिरोह के स्याह चेहरे। अधिकारी हों या नेता वे बेनकाब हो जाएंगे।

लस्सी, नारियल पानी व 40 प्रतिशत

कमीशन का खेल कहां नहीं है। यह सवाल सोचने-विचारने पर मजबूर कर देता है। अंत में उत्तर मिलता है कि कमीशन रूपी भ्रष्टाचार ने तमाम सरकारी कार्यालयों में शिष्टाचार का रूप ले लिया है। ‘वजन’ रखे बगैर कोई कार्य हो जाए तो भाग्य की बात है। स्टेशनरी खरीदी में निजी स्कूलों पर कमीशनखोरी के आरोप लगते आए हैं, परंतु सरकारी कार्यालय भी इससे अछूते नहीं हैं। पुलिस के एक कार्यालय में 30-40 प्रतिशत कमीशन स्टेशनरी पर तय है। जेम पोर्टल पर सेटिंग कर मनपसंद वेंडर सेट कर लिया गया है। कमीशन से भी पेट नहीं भरता है तो लस्सी, नारियल पानी व चाय-नाश्ते का खर्च अलग से लिया जाता है। स्टोर भेजे जाने वाले उपकरणों के सुधार व नए उपकरणों की खरीदी में लेटलतीफी की जाती है। परंतु वजन रखने पर यह कार्य भी तत्परता से हो रहे हैं। कमीशन में मिली रकम से स्वयं के लिए भौतिक संसाधन जुटाए जा रहे हैं।

ये थाना प्रभारी तो कप्तान से भी बड़े हैं

देहात के कुछ थाने ऐसे हैं जिनका संविधान अलग है। पुलिस कप्तान के आदेश-निर्देश से भी ऊपर हैं यहां के थाना प्रभारी। विधानसभा चुनाव से पूर्व पुलिस कप्तान ने वर्षों से एक ही थाने में जमे मैदानी अमले को इधर से उधर किया था। परंतु देहात के इन थानों में कप्तान का आदेश बेअसर रहा। थाना प्रभारियों ने इसका तोड़ निकाल लिया, जिसके बाद इधर उधर किए गए जवान पुन: उन्हीं थानों में अंगद के पांव की तरह जम गए, जहां से उन्हें हटाया गया था। थाना प्रभारियों ने आपसी सहमति से जवानों की अदला-बदली कर ली। मतलब यह कि जो हमारा है हमे दे दो, अपना ले जाओ। जिसके बाद पदस्थापना कहीं और, एफआइआर व विवेचना किसी और थाने में चल रही है। स्थानांतरण के बाद भी पुराने थाने में जमे एक जवान ने कहा कि थाना प्रभारी मेहरबान हों तो कप्तान का आदेश...।

लूप लाइन में भी इतनी धमक, बीएमओ को धमकाया

लूप लाइन में रहकर भी कार्यवाहक डीएसपी की धमक बरकरार है। एक दिन तो उन्होंने खंड चिकित्सा अधिकारी यानी बीएमओ को धमकी दे डाली। हुआ यूं कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बीएमओ ने अपनी पुरानी कार बेचने का सौदा किया। अस्पताल के एक चतुर्थ श्रेणी को सौदे की भनक लगी। उसने कार खरीदने की इच्छा जताई। बीएमओ ने इच्छा का सम्मान कर अपनी कार उसे बेच दी। कुछ माह बाद कर्मचारी बोला कि साहब कार वापस ले लो और पैसे लौटा दो। बीएमओ नहीं माने तो उसने कार का सौदा कहीं और कर दिया। जिसके बाद बीएमओ के खिलाफ झूठी शिकायत करने लगा कि उन्होंने अपनी कार दो लोगों को बेच दी। कार्यवाहक डीएसपी मैडम से अस्पताल कर्मी की पहचान है। मैडम से उसने मदद मांगी। मैडम ने आव देखा न ताव, फोन लगाकर बीएमओ को एफआइआर की धमकी दे डाली। बीएमओ नहीं डरे और उन्होंने पुलिस कप्तान से शिकायत करने की धमकी दे दी। फिलहाल मैडम के मुंह पर ताला लग गया है।

2024-04-27T03:34:22Z dg43tfdfdgfd