INDORE WESTERN RING ROAD: इंदौर पश्चिमी रिंग रोड, 48 हेक्टेयर वनभूमि से निकलेगी सड़क

Indore Western Ring Road: नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। सिंहस्थ तक नए पश्चिमी रिंग रोड को बनाया जाना है, मगर काम शुरू होने से पहले निर्माण को लेकर नया पेंच फंस गया है। सड़क का कुछ हिस्सा वनभूमि से होकर निकलेगा। जंगल की जमीन के बदले में एनएचएआइ को अन्य स्थान पर भूमि उपलब्ध करवाना है, मगर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है। ऐसे में अधूरा प्रस्ताव अभी तक प्री स्क्रीनिंग कमेटी (पीएससी) से आगे नहीं बढ़ा है। एनएचएआइ अब जमीन के लिए जिला प्रशासन से गुहार लगा रहा है, जबकि सड़क को लेकर भूमिपूजन हो चुका है।

64 किलोमीटर लंबे पश्चिमी रिंग रोड को बनाने के लिए एजेंसी तय हो चुकी है। 1500 करोड़ रुपये से बनने वाली सड़क को लेकर प्रस्ताव में 638 हेक्टेयर भूमि लगेंगी। 34 किमी महू से हातोद और 30 किमी हातोद से क्षिप्रा तक अलग-अलग हिस्सों में सड़क का निर्माण होगा। सड़क को लेकर 48 हेक्टेयर वनभूमि की जरूरत है, जिसमें 40 हेक्टेयर इंदौर वनमंडल और 8 हेक्टेयर धार वनमंडल का वनक्षेत्र है।

कक्ष क्रमांक 256, 185, 186, 191, 192, 226 से सड़क निकलेगी। बदले में वन विभाग को कहां और कितनी जमीन उपलब्ध करवाई जाएगी। यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है। एनएचएआइ ने जिला प्रशासन से जमीन उपलब्ध करवाने पर जोर दिया है। अधिकारियों के मुताबिक महू के पास एबी रोड से सांवेर होते हुए शिप्रा तक सड़क बनाए है, जिसमें बेटमा, हातोद, सांवेर, तराना होते हुए क्षिप्रा से सड़क निकाली जाएगी।

पेड़ों की गिनती होना बाकी

सड़क के लिए वनभूमि के बदले जमीन उपलब्ध करवाई जाना है। यह काम होने के बाद 48 हेक्टेयर वनभूमि पर लगे पेड़ों की गिनती की जाएगी। साथ ही पौधे लगाने का आकलन होना बाकी है। जमीन से जुड़ी प्रक्रिया पूरी होने के बाद एनएचएआइ को पौधारोपण, भूमि अधिग्रहण और पेड़ों की कटाई का खर्च तय होगा। प्रस्ताव को वन व पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद एनएचएआइ को राशि जमा करना होगी। फिर उसके बाद सड़क निर्माण शुरू होगा।

वन्यप्राणी की तादाद अधिक

रिंग रोड का जो हिस्सा 48 हेक्टेयर वनभूमि से गुजरेगा, वहां वन्यप्राणियों की तादाद अधिक है। नीलगाय, सियार, तेंदुए सहित अन्य वन्यप्राणी हैं। सड़क बनाने से पहले इनके बारे में भी विचार करना होगा। निर्माण होने से जानवर पलायन करेंगे। ये शहरी सीमा में आएंगे।

मिट्टी का निपटान होगा बताना

एनएचएआइ को वनक्षेत्र में काम करने से पहले वहां की मिट्टी के निपटान के बारे में भी बताना है, क्योंकि वनभूमि से निकलने वाली मिट्टी और मुरम को वनक्षेत्र में डालने का नियम है। वैसे प्री स्क्रीनिंग कमेटी (पीएससी) ने इस बिंदु को लेकर भी एजेंसी को निर्देश दिए हैं।

पश्चिमी रिंग रोड को लेकर एनएचएआइ से प्रस्ताव आना बाकी है। अभी कुछ बिंदुओं पर चर्चा हुई है। वनभूमि के बारे में वन विभाग से जानकारी दी गई है। अभी विभाग को बदले में जमीन कहां मिलेगी, इसे लेकर स्थिति स्पष्ट होना बाकी है।

-महेंद्र सिंह सोलंकी, डीएफओ, इंदौर वनमंडल

2024-04-23T05:04:19Z dg43tfdfdgfd