EASTER SUNDAY 2024: GOOD FRIDAY के बाद क्यों मनाया जाता है ईस्टर? जानें इसका इतिहास

Easter Sunday 2024: दुनियाभर में ईस्टर संडे धूमधाम से मनाया जाता है. यह उत्सव ईसाई समुदाय के लोग गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद सेलिब्रेट करते हैं. मान्यता है कि प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाए जाने के तीन दिन बाद वह मृत्यु पर विजय प्राप्त करते हुए पुनर्जीवित हो गए थे. इस घटना को ईस्टर रविवार के रूप में मनाया जाता है.

ईस्टर रविवार न केवल यीशु के पुनरुत्थान का प्रतीक है, बल्कि यह ईसाइयों के लिए नए जीवन का प्रतीक भी है. यह पाप और मृत्यु पर विजय का प्रतीक है. यह ईसाइयों के लिए आशा और खुशी का समय है. लोगों का मानना है कि मृत्यु अंत नहीं है और जीवन में हमेशा उम्मीद होती है.

ईस्टर संडे की परंपराएं

ईसाई धर्म के लोग ईस्टर संडे के दिन चर्च जाते हैं और प्रभु यीशु के पुनरुत्थान का जश्न मनाते हैं. ईस्टर अंडे ईस्टर संडे की एक लोकप्रिय परंपरा है. ये अंडे नए जीवन का प्रतीक हैं. ईसाई समुदाय के लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर इस उत्सव को मनाते हैं.

गुड फ्राइडे और ईस्टर संडे के बीच संबंध

गुड फ्राइडे यीशु के क्रोस पर चढ़ाए जाने का स्मरणोत्सव है. यह ईसाई धर्म में एक शोक का दिन है. ईस्टर रविवार यीशु के पुनरुत्थान का प्रतीक है. यह ईसाई धर्म में एक खुशी का दिन है.

कैसे हुआ यीशु का पुनर्जन्म?

ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाए जाने के बाद अरिमथिया के जोसेफ ने उनके शरीर को मखमल के कपड़े में लपेट दिया था. इसके बाद जोसेफ ने एक बगीचे में चट्टान खोदकर कब्र बनाई, जिसमें उसने यीशु को दफना दिया. उस दौरान निकोदेमस 75 पाउंड लोहबान और औषधीय दस्तावेज लेकर वहां पहुंचे थे, जिन्हें यहूदी रीति-रिवाजों के अनुसार यीशु की कब्र में रखा गया था. कब्र के द्वार पर एक बड़ा पत्थर रखकर उसे बंद कर दिया गया था. लेकिन तीसरे दिन रविवार को मृत यीशु फिर से जीवित हो उठे. यह ईसाई धर्म के सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है, जिसे ईस्टर के रूप में मनाया जाता है. ईस्टर यीशु के बलिदान और पुनरुत्थान का प्रतीक है, जो ईसाई धर्म के मूल सिद्धांतों का आधार है. यह ईसाईयों के लिए आशा और खुशी का पर्व है, जो यीशु के जीवन और शिक्षा पर आधारित है.

40 दिनों तक सेलिब्रेट करते हैं यह दिन

बाइबल के अनुसार, प्रभु यीशु को शुक्रवार को क्रॉस पर चढ़ाया गया था और रविवार को वे पुनर्जीवित हो गए थे. इस पुनर्जन्म को ही ईस्टर के रूप में मनाया जाता है. ईसाई धर्म में, ईस्टर सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. यह यीशु के बलिदान और पुनरुत्थान का प्रतीक है, जो ईसाई धर्म के मूल सिद्धांतों का आधार है. ईस्टर के पर्व को 40 दिनों तक मनाने की परंपरा बाइबल से ही आती है. यीशु के पुनरुत्थान के बाद, वे 40 दिनों तक धरती पर रहे और अपने शिष्यों को प्रेम और करुणा की शिक्षा दी. 40वें दिन वे स्वर्ग चले गए. कुछ जगहों पर ईस्टर को 50 दिनों तक सेलिब्रेट किया जाता है. यह 40 दिनों के अलावा पेंटेकोस्ट का 10 दिन का त्योहार भी शामिल करता है, जो पवित्र आत्मा के आगमन का जश्न मनाता है. ईस्टर के दौरान, ईसाई लोग चर्च जाकर प्रार्थना करते हैं. इसके अलावा यीशु के जीवन और शिक्षाओं पर चर्चा करते हैं. इस दिन कई तरह के पकावन भी बनाए जाते है.

ईस्टर संडे पर अंडे का महत्व

ईसाई समुदाय के लोग अंडे को नए जीवन का प्रतीक मानते हैं. प्रभु यीशु के पुनरुत्थान को नए जीवन की शुरुआत के रूप में देखा जाता है. अंडे से ही नया जीवन जन्म लेता है, इसलिए यह प्रभु यीशु के पुनरुत्थान का प्रतीक बन गया. यह भी माना जाता है कि अंडे की परंपरा मिस्र से आई है. मिस्रवासी अंडे को जीवन का प्रतीक मानते थे और वसंत ऋतु में वे अंडे का त्योहार मनाते थे. ईसाईयों ने इस परंपरा को अपनाया और इसे ईस्टर से जोड़ दिया. अंडे का रंग-बिरंगा रूप सजावट के लिए भी आकर्षक होता है. लोग अंडे को रंगों से रंगते हैं, उन पर चित्र बनाते हैं और उन्हें घरों और चर्चों में सजाते हैं. इस खास मौके पर लोग एक-दूसरे को तोहफे में अंडे भी देते हैं. इस दिन प्रभु यीशु के जीवन की नई शुरुआत हुई थी. इसलिए ईसाई समुदाय के लोग अंडे को नए जीवन की शुरुआत मानते हैं.

2024-03-29T05:32:10Z dg43tfdfdgfd