CLIMATE CHANGE:10 हेक्टेयर से बड़ी 2431 झीलों में से 676 के आकार में हुई वृद्धि,ISRO की रिपोर्ट में खुलासा

बढ़ते तापमान के कारण हिमालय में बर्फ तेजी से पिघल रही है और ग्लेशियर से बनीं 27 फीसदी झीलों के आकार में 1984 के बाद खतरनाक रूप से वृद्धि हो रही है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की रिपोर्ट के मुताबिक, यह जारी रहा तो भयावह बाढ़ की त्रासदी का कारण बन सकता है। इसरो के अनुसार, 2016-17 के दौरान 10 हेक्टेयर से बड़ी 2,431 झीलों की पहचान की गई थी। उपग्रह चित्रों से पता चलता है कि इनमें से 676 झीलों के आकार में 1984 के बाद वृद्धि हुई है।

चार श्रेणियों में बांटा

रिपोर्ट के अनुसार, ग्लेशियर से बनीं झीलों को उनकी निर्माण प्रक्रिया के आधार पर चार श्रेणियों में बांटा जाता है। हिमोढ़ बांध (मोराइन से रोका गया पानी), बर्फ बांध (बर्फ से रोका गया पानी), कटाव और अन्य ग्लेशियर से बनीं झीलें। ग्लेशियर से बहाकर ले जाने वाले मलबे को मोराइन कहा जाता है। आकार में बढ़ोतरी वाली 676 झीलों में से 307 हिमोढ़ बांध श्रेणी की हैं। इसके बाद 265 कटाव, 96 अन्य और बर्फ बांध यानी ग्लेशियर से बनीं आठ झीलें हैं।

676 झीलों में से 601 का आकार दोगुने से अधिक हो गया है, जबकि 10 झीलें डेढ़ से दो गुना और 65 झीलें 1.5 गुना बढ़ी हैं। इनमें से 130 भारत में हैं, जिनमें 65 सिंधु नदी घाटी में, सात गंगा नदी घाटी में और 58 ब्रह्मपुत्र नदी घाटी में हैं। ऊंचाई आधारित विश्लेषण से पता चला है कि 314 झीलें चार से पांच हजार मीटर की सीमा में और 296 झीलें पांच हजार मीटर से ऊपर की ऊंचाई पर हैं।

घेपांग घाट झील का आकार 178% बढ़ा

4,068 मीटर की ऊंचाई पर स्थित घेपांग घाट ग्लेशियर झील (सिंधु बेसिन) के आकार में 1989 से 2022 के बीच 36.49 हेक्टेयर से 101.30 हेक्टेयर तक यानी 178% की वृद्धि हुई है। यह प्रति वर्ष करीब 1.96 हेक्टेयर है। इसी तरह आकार बढ़ने के बाद गत अक्तूबर में सिक्किम के उत्तर-पश्चिम में 17 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित दक्षिण ल्होनक झील  फटने के कारण 40 लोग मारे गए थे।

रिमोट सेंसिंग तकनीक निगरानी के लिए उत्कृष्ट

रिपोर्ट में कहा गया है कि झीलों, इनके बढ़ते आकार की निगरानी और अध्ययन करना दुर्गम और ऊबड़-खाबड़ इलाकों के कारण चुनौतीपूर्ण है। रिमोट सेंसिंग तकनीक अपनी व्यापक कवरेज और पुनरीक्षण क्षमता के कारण निगरानी के लिए एक उत्कृष्ट उपकरण है। इन झीलों में लंबी अवधि के दौरान होने वाले बदलावों का आकलन ग्लेशियर पीछे हटने की दरों को समझने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की जानकारी हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण है।

2024-04-25T00:04:50Z dg43tfdfdgfd