स्त्री धन पर दो टूक

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में फैसला देते हुए कहा है कि स्त्री धन पूरी तरह महिला की संपत्ति होती है, जिस पर पति का कोई हक नहीं होता। हालांकि हिंदू लॉ की यह पोजिशन पहले से स्पष्ट है और इस लिहाज से फैसले को नया नहीं बताया जा सकता, फिर भी सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आज की तारीख में न केवल कानूनी हलकों में बल्कि सामाजिक संदर्भों में भी काफी अहमियत रखता है।

संयुक्त संपत्ति नहीं: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह बात और स्पष्ट हो गई है कि स्त्री धन को पति-पत्नी की संयुक्त संपत्ति के रूप में नहीं देखा जा सकता। स्त्री धन का मतलब उस धन, संपत्ति, गहने-जेवर या रकम से है, जो शादी के समय लड़की को या लड़के और लड़की को दिया जाता है। आम तौर पर परिवार इसे अपनी संपत्ति के रूप में देखता है। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट का यह कहना महत्वपूर्ण है कि अगर किसी संकट के दौरान पति इस धन का इस्तेमाल करता है तो यह उसका नैतिक दायित्व है कि वह धन या उसके बराबर रकम पत्नी को वापस करे।

फैसले की टाइमिंग : यह आदेश ऐसे समय में आया है, जब कई अन्य फैसलों की बदौलत और महिलाओं की बढ़ती जागरूकता के कारण भी, समाज में स्त्री-पुरुष संबंधों का सदियों से चला आ रहा समीकरण बदल रहा है। महिलाएं घर से निकल कर हर क्षेत्र में अपना दखल बढ़ा रही हैं। परिवार के अंदर भी पैतृक संपत्ति में अपना जायज हिस्सा मांग रही हैं और रोजमर्रा की जिंदगी में फैसले लेने की प्रक्रिया में सक्रिय हिस्सेदारी कर रही हैं।

टकराव के आसार : इन सबका एक साइड इफेक्ट यह है कि पुरुषों के एक हिस्से में महिलाओं के अधिकारों को लेकर बेचैनी का अहसास बढ़ा है। कहीं यह उनमें बढ़ते असुरक्षा बोध के रूप में सामने आता है तो कहीं महिलाओं के अधिकारों का विरोध करने की प्रवृत्ति के रूप में।

सीमित न हों अधिकार : ऐेसे में यह और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है कि समाज का बड़ा हिस्सा सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को किस रूप में देखता है। चूंकि स्त्री धन और उस पर मालिकाना पारंपरिक तौर पर ही स्त्रियों का माना जाता रहा है, इसलिए समाज में प्रचलित पारंपरिक सोच का एक रिएक्शन यह भी हो सकता है कि इस फैसले का स्वागत करते हुए लड़कियों के अधिकारों को वहीं तक सीमित करने की कोशिश की जाने लगे।

बदलते रुझान पर हो नजर : कानूनी तौर पर तो लड़कियों के सारे अधिकार सुरक्षित हैं। अदालतें इस मामले में सतर्क भी हैं। लेकिन समाज में इस फैसले की आड़ में प्रतिक्रियावादी और प्रतिगामी सोच हावी न हो, इसे लेकर सावधानी बरतने की खास जरूरत है।

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2024-04-27T02:41:56Z dg43tfdfdgfd