मनेर प्रखंड के 19 गांवों में 84 जगहों की भूजल जांच में 45 जगह तय मात्रा अधिक आर्सेनिक पाया गया है। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के अधिकारियों ने मनेर के 84 जगहों पर पानी के नमूने का परीक्षण किया था, जिसमें 45 जगहों का भूजल पीने योग्य नहीं पाया गया। विभाग के अधिकारियों ने प्रभावित इलाके में लोगों से अपील की है कि ऐसी जगहों के चापाकल और बोरिंग के पानी का सेवन नहीं करें। ऐसी जगहों के पानी का इस्तेमाल कपड़ा साफ करने या स्नान करने के लिए किया जा सकता है।
पीएचईडी के अधीक्षक अभियंता की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय टीम ने मार्च 2022 में मनेर के 165 वार्ड में पेयजल की जांच के लिए 84 जगहों से नमूना लिया गया था। नमूने की जांच रिपोर्ट में केवल 39 जगहों पर ही पीने योग्य पानी पाया गया। 45 जगहों पर पानी पीने लायक नहीं था, इसीलिए ऐसी जगहों के चापाकल और बोरिंग पर लाल निशान लगा दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि प्राइवेट बोरिंग और निजी चापाकलों से लिए गए नमूने में आर्सेनिक है क्योंकि बगैर मानक के उसे स्थापित कर दिया गया है। जहां के पानी में आर्सेनिक है उसमें मुख्य रूप से महादेव स्थान, पंजाबी ढाबा, मनेर थाना, गौरिया स्थान, देवी स्थान, हनुमान मंदिर समेत अन्य स्थान शामिल हैं।
कहते हैं अधिकारी
पीएचईडी के पटना पश्चिमी डिविजन के अधीक्षक अभियंता अनिल कुमार अखिलेश का कहना है कि मनेर के जिन गांवों में आर्सेनिकयुक्त पानी मिला है वहां लाल निशान लगा दिया गया है। लोगों से अपील की गई है कि उस पानी का सेवन नहीं करें। लोगों में जागरूकता लाने के लिए गांवों में प्रचार किया जा रहा है। साथ ही हर घर को नल जल योजना या पीएचईडी द्वारा इन इलाके में स्थापित बोरिंग या चापाकल से पानी पीने की सलाह दी गई है। उनका कहना है कि पीएचईडी मानक के अनुसार बोरिंग और चापाकल स्थापित करता है, जिसमें आर्सेनिक नहीं होता है। कम से कम 61 फीट जमीन के नीचे चापाकल या 125 मीटर नीचे बोरिंग का पाइप होना चाहिए तब पानी में आर्सेनिक नहीं होने की संभावना रहती है।
इन गांवों के पानी में है आर्सेनिक
माधोपुर, अहया गयासोर, सातनगर, निहाल टोला, शादिकपुर, धरवेशपुर, लोदीपुर, शेरपुर, बड़की काथौलिया, कथौलिया खुर्द, सराय, हल्दी छपरा, धजवा टोला, रतनटोला, किता चौहतर, हुलासी टोली, रामबांध, प्रेमटोला और ब्रम्हचारी गांव।
आर्सेनिकयुक्त पानी के नुकसान
पीएमसीएच के मेडिसिन विभाग के डॉ. बीपी सिन्हा का कहना है कि यदि आर्सेनिकयुक्त पानी को लगातार लंबे समय तक सेवन किया जाए तो उससे शरीर को काफी नुकसान होता है। ऐसे पानी पीने से त्वचा, हृदय, मधुमेह, श्वसन, गैस्ट्रोइंट्रोटाइटिस और कैंसर जैसी बीमारियां होती हैं। इसके बचाव के लिए जरूर है कि आर्सेनिकयुक्त पानी के सेवन से बचा जाए।
एक दिन पहले आर्सेनिक नहीं होने की कही गई थी बात
एक दिन पूर्व ही पीएचईडी ने जिला प्रशासन को रिपोर्ट दी थी कि मनेर के 84 जगहों पर पानी के नमूने की जांच में आर्सेनिक की अधिक मात्रा नहीं है। हालांकि, जांच रिपोर्ट में 39 जगहों पर ही आर्सेनिक नहीं पाया गया। वहीं 45 जगह ऐसे मिले जहां आर्सेनिक की अधिक मात्रा के कारण पानी पीने योग्य नहीं है।
2023-02-08T12:34:22Z dg43tfdfdgfd