देशभर में ऐसे कई मंदिर हैं, जिसका इतिहास कई सालों पुराना है। आज के इस आर्टिकल में हम जिस मंदिर के बारे में बात कर रहे हैं, यह मंदिर 1000 साल से भी अधिक पुराना बताया जाता है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां सबसे पहले सूर्य की किरण पड़ती है।
इससे भी ज्यादा खास बात यह है कि इस मंदिर का नाम भी सूर्य मंदिर ही है। यह मंदिर अंतरिक्ष के रहस्यों और सूर्य-पृथ्वी के अनोखे रिश्ते को दर्शाता है। माना जाता है कि जब इस मंदिर में सूर्य भगवान अभिषेक करते हैं, तो इस दौरान यहां जाना शुभ होता है।
गुजरात के पाटन जिले में बना मोढेरा का यह सूर्य मंदिर एक खास लोकेशन पर स्थित है। मंदिर पुष्पावती नदी के किनारे बना है। नदी के किनारे होने के बावजूद यहां, सूर्य की किरणें रोज नहीं पड़ती। बताया जाता है कि इस मंदिर को 1026 में सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम ने बनवाया था।
इस मंदिर के गर्भगृह में सूर्य की किरण सिर्फ ग्रीष्म संक्रांति (Summer Solstice) और सोलर इक्विनॉक्स के दिन यहां लोगों की भारी भीड़ जमा होती है। यहां मंदिर में एक कुंड है, जहां संक्रांति के अवसर पर नहाना शुभ होता है। हर साल संक्रांति के अवसर पर यानी सूर्य के राशि बदलने पर सूर्य कुंड के पानी से स्नान करने लोग आते हैं। यह गुजरात में घूमने के लिए अच्छी जगहों में से एक है।
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मंदिर में कुल 52 स्तंभ हैं। ये 52 स्तंभ साल के 52 हफ्तों को दर्शाते हैं। मंदिर की दीवारों पर आपको देवी-देवताओं अनोखे चित्र देखने को मिलेंगे, जो बेहद सुंदर लगते हैं। मंदिर का हर खंभा एक अलग इतिहास को दर्शाता है, रामायण और महाभारत के प्रसंगों को भी आप इन दीवारों पर देख और पढ़ सकते हैं।
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2024-04-29T06:58:26Z dg43tfdfdgfd